tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post2836832763456653412..comments2023-11-05T18:19:51.693+05:30Comments on एक प्रयास: क्या हाऊस वाईफ का कोई अस्तित्व नहीं ?vandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger39125tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-30674325915890373522011-04-08T12:59:13.882+05:302011-04-08T12:59:13.882+05:30bahut acchi rachana hai apki or Orto ke bare main ...bahut acchi rachana hai apki or Orto ke bare main jo apne vichar lekhe hai main to apke lekhani ka kayal ho gaya bahut hi sundar <br /> bus app se 1 hi nivedan hai ki app isis tahar likhte rahiye or mere jese bloger ka bhi blog pe ake utsaha badeiyeDinesh pareekhttps://www.blogger.com/profile/00921803810659123076noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-64523883972524647302011-03-09T16:56:32.603+05:302011-03-09T16:56:32.603+05:30गंभीर विषय।
आपका सवाल वाजिब है।
महिलाओं को कहीं ...गंभीर विषय।<br /><br />आपका सवाल वाजिब है।<br /><br />महिलाओं को कहीं से कमतर नहीं आंका जा सकता।<br /><br />हां, मैं इतना जरूर कहूंगा कि महिलाएं गृहणी भी हो सकती हैं और घर के बाहर भी नौकरी कर सकती हैं लेकिन पुरूष घर के बाहर नौकरी तो कर सकते हैं लेकिन घर में यदि एक दिन भी खाना बनाना पडे तो पुरूषों को अपनी औकात पता चल जाएगी।<br /><br />हर पुरूष ऐसे वाक्यातों से दो चार होते होंगे जब उनकी पत्नियां बीमार पडती होंगी, क्या हाल होता होगा उनका वे ही जानत हैं।<br /><br />महिलाएं आज के दौर में पुरूषों की बराबरी तो कर सकती हैं लेकिन मेरा मानना है कि पुरूष महिलाओं की बराबरी नहीं कर सकते। कभी नहीं कर सकते।<br /><br /> <br /><br />जहां तक ऐसी कंपनियों के ऐसे सवालों का जवाब है, पुरूषों को निर्णय लेने के पहले एक बार तो अपनी पत्नी से पूछना ही पडता है।<br /><br /> <br /><br />शुभकामनाएं आपको।<br /><br />अच्छी रचना।Atul Shrivastavahttps://www.blogger.com/profile/02230138510255260638noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-19569520830978027112011-03-03T18:46:29.706+05:302011-03-03T18:46:29.706+05:30ye stithi kaamkaaji mahilaon kee bhi hoti hai... v...ye stithi kaamkaaji mahilaon kee bhi hoti hai... vo kamaati to hain kintu yah nahi keh sakti ki unkaa bhi yogdaan hai...<br /> dr nutan gairola..<br />abhi yah cmment maine apne husband ke blog se kiya hai....saadrDr.M.N.Gairolahttps://www.blogger.com/profile/06653598191550452221noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-50894712764508563662011-03-01T20:47:46.471+05:302011-03-01T20:47:46.471+05:30आज एक बिलकुल ही नया और काबिले तारीफ़ अंदाज़ बहुत अ...आज एक बिलकुल ही नया और काबिले तारीफ़ अंदाज़ बहुत अच्छा लगा...डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-21190359982252958822011-02-27T23:36:41.524+05:302011-02-27T23:36:41.524+05:30ऐसी कम्पनियों पर लगाम नहीं लगाया जाना चाहिए .........ऐसी कम्पनियों पर लगाम नहीं लगाया जाना चाहिए ..........उन्हें इससे क्या मतलब निर्णय कौन लेता है .........वो तो सिर्फ अपना प्रयोजन बताएं बाकि हर घर की बात अलग होती है कि कौन निर्णय ले ...........ये उनकी समस्या है चाहे मिलकर लें या अकेले........उन्हें तो इससे फर्क नहीं पड़ेगा न ........फिर क्यूँ ऐसे प्रश्न पूछकर घरेलू महिलाओं के अस्तित्व को ही सूली पर लटकाते हैं ?aap sahi kah rahi ,din bhar ki seva vyarth kar di jaati aesa kah kar .bahut uchit sawal raha .mukti ji ke vichar se main poori tarah sahmat hoon .ज्योति सिंहhttps://www.blogger.com/profile/14092900119898490662noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-7414510901676829352011-02-24T17:10:45.783+05:302011-02-24T17:10:45.783+05:30बहुत उपयोगी एवं प्रभावशाली पोस्टबहुत उपयोगी एवं प्रभावशाली पोस्टसुरेन्द्र सिंह " झंझट "https://www.blogger.com/profile/04294556208251978105noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-33018833704224395092011-02-24T16:35:40.107+05:302011-02-24T16:35:40.107+05:30वंदना जी
गलती कंपनी वालो की नहीं है वो...वंदना जी<br /> गलती कंपनी वालो की नहीं है वो तो वही सवाल कर रहें ही जो समाज का चलन है समाज का चलन तो यही है की घर के बड़े निर्णय खासकर आर्थिक मामलों का निर्णय घर के पुरुष ही लेते ही या उनमे उनकी सहमति पहले ली जाती है | हा अब कुछ जगहों में ये परिवर्तन आया है की इस तरह के निर्णय महिलाए लेने लगी है | समाज और उसी के आधार पर चलने वाली कंपनियों को अभी इन चीजो को स्वीकार करने में समय लगेगा |anshumalahttps://www.blogger.com/profile/17980751422312173574noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-58114335764058680222011-02-24T14:14:20.039+05:302011-02-24T14:14:20.039+05:30.
आपके प्रश्न बहुत उचित एवं तर्क संगत हैं। एक गृह....<br /><br />आपके प्रश्न बहुत उचित एवं तर्क संगत हैं। एक गृहणी कों जो सम्मान मिलना चाहिए वह नहीं मिलता । मैंने दोनों स्थितियां देखी हैं। भारत में थी और नौकरी करती थी तो बहुत सम्मान मिलता था परिचित और अपरिचित सभी का । लेकिन पति की नौकरी विदेश में होने के कारण जबसे यहाँ हूँ , एक फुल टाइम गृहणी हूँ। अब कोई इज्ज़त नहीं है । <br /><br />लोग पैसा कमाने वाली मशीन कों इज्ज़त देते हैं । चाहे वो स्त्री हो या पुरुष । और पैसे के आधार पर ही उसकी काबिलियत कों आंकते हैं । एक गृहणी की मेहनत , उसकी Education , उसके बलिदानों का कोई मोल नहीं है । वो दिन भर कोल्हू के बैल की तरह काम करेगी तो भी पैसे नहीं कमा पाएगी । इसलिए इज्ज़त की हक़दार नहीं होगी सामाज की आँखों में ।<br /><br />लेकिन मेरे विचार से एक गृहणी समुचित इज्ज़त की हक़दार है । उसी के सद्प्रयासों से एक घर , खुशहाल और समृद्ध होता है । परिवार में सब कुछ सुचारू रूप से चलता है । बच्चों कों बेहतर परवरिश और संस्कार मिलता है । हर क्षेत्र में उसके योगदानों कों नज़रंदाज़ करना अन्याय है । <br /><br />.ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-86053881428959813542011-02-24T13:00:42.941+05:302011-02-24T13:00:42.941+05:30जिस दिन हाउस वाइफ का आस्तित्व नहीं रहेगा उस दिन ह...जिस दिन हाउस वाइफ का आस्तित्व नहीं रहेगा उस दिन हाउस भी नहीं रहेगा और हाउस का मतलब परिवार से है। परिवार एक इकाई है और पत्नी उसकी धुरी । एक अच्छे परिवार में निर्णय लेने में पत्नी की ही राय को महत्ता दी जानी चाहिए और दी भी जाती है । बात मानसिकता की है जिसे बदलना होगा ।हरीश जोशीhttps://www.blogger.com/profile/07383184447160158636noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-59034781533039661172011-02-24T12:57:37.528+05:302011-02-24T12:57:37.528+05:30सही लिखा है
आप बहुत अच्छा लिखतें हैंसही लिखा है<br />आप बहुत अच्छा लिखतें हैंOM KASHYAPhttps://www.blogger.com/profile/13225289065865176610noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-30900273274239040742011-02-24T09:10:28.963+05:302011-02-24T09:10:28.963+05:30बिल्कुल ठीक । सबसे पहली बात कि सदियों से चली आ रही...बिल्कुल ठीक । सबसे पहली बात कि सदियों से चली आ रही ऐसी छोटी छोटी बातों ने ही उस तथाकथित मानसिकता को बनाने और स्थापित होने में मदद की होगी । इसलिए जरूरी है कि आज हर छोटी बडी ऐसी बातों को न सिर्फ़ ध्यान में रखा जाए और सिरे से उन्हें नकारा जाए । हां सबसे हैरान करने वाली बात यही है कि खुद युवतियां भी इस तरह की जानकारी मांगतीं हैं , और कारण मुक्ति जी ने बता ही दिया है । बहुत ही सार्थक पोस्ट वंदना जीअजय कुमार झाhttps://www.blogger.com/profile/16451273945870935357noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-30912897536389673282011-02-24T07:06:47.873+05:302011-02-24T07:06:47.873+05:30टेलीमार्केटिंग वालों के ऐसे सवालों का सामना कई बार...टेलीमार्केटिंग वालों के ऐसे सवालों का सामना कई बार करना होता है ...अच्छा प्रश्न उठाया है आपने ..<br />अधिकांश घरों में महिलाएं चाहे कामकाजी हो या गृहिणी , आर्थिक मामलों से सम्बंधित निर्णय पुरुष ही लेते हैं...जबकि ऐसे मामलों में भी दोनों की सहमति होनी चाहिए ...गृहिणियों को इसका विरोध करना चाहिए <br />अच्छी जागरूक करती पोस्ट !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-28092146486768630942011-02-24T01:52:44.860+05:302011-02-24T01:52:44.860+05:30बहुत सार्थक प्रस्तुति .विचारणीय आलेख.आभार.....बहुत सार्थक प्रस्तुति .विचारणीय आलेख.आभार.....Shikha Kaushikhttps://www.blogger.com/profile/12226022322607540851noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-65685635110975192772011-02-23T22:17:44.600+05:302011-02-23T22:17:44.600+05:30प्रश्न सही है।
उत्तर :: हमारे घर में तो अंतिम निर्...प्रश्न सही है।<br />उत्तर :: हमारे घर में तो अंतिम निर्णय वो ही लेती हैं। और सारे निर्णय भी।<br />अनुभव :: एक जमीन उनके नाम से लेने का एग्रीमेंट कराया। अब एक हाउस वाइफ़ को न सरकार लोन दे रही है और न बैंक। सो अब एग्रीमेंट में अपना नाम डलवाना पड़ रहा है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-65160623444624067122011-02-23T22:05:05.855+05:302011-02-23T22:05:05.855+05:30घर के निर्णय मिलकर लिये जायें।घर के निर्णय मिलकर लिये जायें।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-85782672348787978562011-02-23T21:46:18.512+05:302011-02-23T21:46:18.512+05:30अजी यह कम्पनी के ऎजेंट ऎसा बोलते होंगे, क्योकि यह ...अजी यह कम्पनी के ऎजेंट ऎसा बोलते होंगे, क्योकि यह सब उन्हे सिखाया जाता हे, वर्ना घर मे तो दोनो ही समान हे, ओर मेरे ख्याल मे कोई भी पति ऎसा नही सोचता होगा...बिना पत्नि के घर ही कहां ?राज भाटिय़ाhttps://www.blogger.com/profile/10550068457332160511noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-11939754451944246122011-02-23T20:44:08.365+05:302011-02-23T20:44:08.365+05:30बिलकुल सही बात कही है....ये तस्वीर बदलनी चाहिए...ल...बिलकुल सही बात कही है....ये तस्वीर बदलनी चाहिए...लोग हाउसवाइफ को आज भी एक अनपढ़, सिर्फ घर का ख्याल रखनेवाली ही समझते हैं...जबकि कई बार वे अकेले ही सारी जिम्मेदारियाँ वहन करती हैं.<br />हालांकि ज्यादा तादाद उन पुरुषों की ही है जो आर्थिक निर्णय अपने पास रखते हैं..फिर भी...धीरे-धीरे स्थितियाँ बदल रही हैं....और लोगों का ये भ्रम टूटना चाहिए.rashmi ravijahttps://www.blogger.com/profile/04858127136023935113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-71959629704395958112011-02-23T19:27:04.279+05:302011-02-23T19:27:04.279+05:30Darasal comanywale naye naye recruitors rakhte hai...Darasal comanywale naye naye recruitors rakhte hai,jinki training me is taraf dhyan nahi diya jata,jo ki jaroori hai.Phir aisa bhi bahut baar hota hai ki jab ye log phone karte hon to kai baar unko 'housewife' ki taraf se hi .ye jabaab milta ho ki sub kuch hamaare "ye" hi bataayenge.Aaj ke samay me "housewife" ke sakaaratmak<br />sahyog se to inkaar kiye jaane ka koi prasann hi nahi hai.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-71723035312303508392011-02-23T19:21:16.032+05:302011-02-23T19:21:16.032+05:30एकदम सही लिखा है आपने|एकदम सही लिखा है आपने|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-47820757436373299152011-02-23T18:55:40.160+05:302011-02-23T18:55:40.160+05:30असल में यह युवा परिवार के बारे में कुछ भी नहीं जान...असल में यह युवा परिवार के बारे में कुछ भी नहीं जानते। इन्हें तो जो रटाया जाता है वही तोते की तरह बोलते हैं। मैंने तो अभी तक एक भी घर ऐसा नहीं देखा जहाँ पुरुष निर्णय लेता हो और वह घर सफलता से चलता हो। जहाँ महिलाएं निर्णय लेती हैं वे घर सफलता से चलते हैं। अपवाद की बात मैं नहीं कर रही। ऐसे लोगों को घर बुला लिया करो और फिर वास्तविकता के दर्शन करा दिया करो।अजित गुप्ता का कोनाhttps://www.blogger.com/profile/02729879703297154634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-51741506182025258322011-02-23T18:18:54.241+05:302011-02-23T18:18:54.241+05:30vandana,mahilaon ke liye ye mansikata sirf house w...vandana,mahilaon ke liye ye mansikata sirf house wives ke liye hi nahi hai.hame school se income tax return ka form mila ye kahate hue ki aapke husband ko de dijiyega vo bharva denge...hame samajhne ki jaroorat hi kaha thi ..ham to mahilayen hai....kavita vermahttps://www.blogger.com/profile/18281947916771992527noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-14942814558395449352011-02-23T17:57:44.634+05:302011-02-23T17:57:44.634+05:30Badahee pravahmayee aur zabardast aalekh!
Kayi baa...Badahee pravahmayee aur zabardast aalekh!<br />Kayi baar log ye sawaal bhee kar jate hain,ki,kya aap kaam kartee hain yaa sirf housewife hain!Matlab ek gruhini kaam nahee kartee kya?kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-70798728206203687102011-02-23T17:00:21.796+05:302011-02-23T17:00:21.796+05:30@ Learn By Watch jii
इस लेख के माध्यम से सोये हुयो...@ Learn By Watch jii<br />इस लेख के माध्यम से सोये हुयो को जगाने का ही प्रयास है।vandana guptahttps://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-40946434323332218442011-02-23T16:46:12.459+05:302011-02-23T16:46:12.459+05:30आप तो बस झिडक कर शांत कर दिया करिये ऐसे प्रश्न पूछ...आप तो बस झिडक कर शांत कर दिया करिये ऐसे प्रश्न पूछने वालों को<br /><br />आपके अंतिम तीनों प्रश्नों का उत्तर में तो नहीं में ही दूंगा, पर आपके पहले प्रश्न का उत्तर हां में भी नहीं दिया जा सकता और नहीं में भी नहीं.. प्रश्न सुधारिये इसके बाद इसका उत्तर भी नहीं है :)<br /><br />वैसे मेरे घर में तो माँ और पिता जी मिल कर ही निर्णय लेते हैं, पर मेरे कुछ रिश्तेदारों के घरों में पूरा निर्णय सिर्फ "सर" ही लेते हैं, मैडम को तो उन्होंने सिर्फ मशीन बना रखा है, यदि में उनको ध्यान में रख कर ये सेल्समेन वाला काम करूं तो मेरा भी पहला सवाल यही होगा |<br /><br />कम्पनियाँ जो सवाल तैयार करतीं हैं वो काफी रिसर्च के बाद तैयार किये जाते हैं, और ये सवाल इसलिए भी रखा गया होगा क्यूंकि शायद आज भी हाउस वाइफ को आर्थिक मामलों में शामिल करना ज्यादातर लोग पसंद नहीं करते |<br /><br />पर आप चिंता मत कीजिये धीरे धीरे ये विश्वास टूटेगा, असल में स्त्रियां खुद ही अपना हक नहीं मांगतीं |Learn By Watchhttps://www.blogger.com/profile/06971233278329456015noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-21148185466624144532011-02-23T16:25:28.723+05:302011-02-23T16:25:28.723+05:30वन्दना जी मेरी सोच अलग है!
कुशल गृहणी ही तो संसार ...वन्दना जी मेरी सोच अलग है!<br />कुशल गृहणी ही तो संसार की स्रजनहार है!<br />आपके सभी प्रश्नों का एक ही लाइन में उत्तर है!<br />बाकी मुण्डे-मुण्डे मतिर्भिन्ना!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.com