tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post8186592393011960901..comments2023-11-05T18:19:51.693+05:30Comments on एक प्रयास: कृष्ण लीला ………भाग 22vandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-69040730023816826932011-11-16T23:24:32.640+05:302011-11-16T23:24:32.640+05:30एक भाव से प्रभु विचारते हैं मुझमे तो सिर्फ़ सतगुण...एक भाव से प्रभु विचारते हैं मुझमे तो सिर्फ़ सतगुण का ही बसेरा है और यहाँ धरा पर कुछ रजोगुण कर्म भी करना होगा इसलिये कुछ रज का भी भक्षण करना होगा <br />संस्कृत मे पृथ्वी का नाम ‘रसा’ भी होता है श्री कृष्ण ने सोचा सभी रसो का आनन्द तो ले चुका हूँ कुछ ‘ रसा रस’ का भी आस्वादन करूँ <br />इक भाव से खडे सोच रहे हैं मैने पहले विष भक्षण किया अब मृदा खा उसका उपचार किया <br />गोपियो का माखन भी खाया है तो मिट्टी खा मुख साफ़ भी तो करना है <br /><br />आप भी क्या क्या विचार लेती हैं,वंदना जी.<br />कान्हा को 'रज','रसा',मृदा का स्वाद चखा देती हैं.मिटटी से मुख का माखन साफ़ करवा<br />देती हैं,दाऊ दादा को भांग का गोला खिलवा <br />देती है.<br /><br />आप की महिमा बस आप ही जाने जी.Rakesh Kumarhttps://www.blogger.com/profile/03472849635889430725noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-40150965881860413102011-11-16T20:14:12.728+05:302011-11-16T20:14:12.728+05:30आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । । मेरे पोस्ट ...आपके पोस्ट पर आना सार्थक सिद्ध हुआ । । मेरे पोस्ट पर आप आमंत्रित हैं । धन्यवाद ।प्रेम सरोवरhttps://www.blogger.com/profile/17150324912108117630noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-54817769853767445802011-11-14T18:34:31.229+05:302011-11-14T18:34:31.229+05:30बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कृष्ण लीला प्रस्तुती! ज्ञा...बहुत सुन्दर और भावपूर्ण कृष्ण लीला प्रस्तुती! ज्ञानवर्धक पोस्ट!Urmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-52605035109676235302011-11-13T22:22:08.220+05:302011-11-13T22:22:08.220+05:30श्रीकृष्ण जी की लीला अपरंम्पार है...भावमयी प्रस्तु...श्रीकृष्ण जी की लीला अपरंम्पार है...भावमयी प्रस्तुति|ऋता शेखर 'मधु'https://www.blogger.com/profile/00472342261746574536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-30146311895378247322011-11-12T16:44:25.003+05:302011-11-12T16:44:25.003+05:30bahut hi sundar parstuti...
jai hind jai bharatbahut hi sundar parstuti...<br />jai hind jai bharatSAJAN.AAWARAhttps://www.blogger.com/profile/10975214181930047006noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-10513913364813408842011-11-11T23:25:12.827+05:302011-11-11T23:25:12.827+05:30नमस्कार वंदना जी..यहाँ आकर मै अक्सर कृष्णमय हो जात...नमस्कार वंदना जी..यहाँ आकर मै अक्सर कृष्णमय हो जाता हूँ....राधा सी पवित्र और उनके प्रेम सी अनोखी और सुंदर रचना।Er. सत्यम शिवमhttps://www.blogger.com/profile/07411604332624090694noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-4311511649172592322011-11-11T20:13:55.225+05:302011-11-11T20:13:55.225+05:30हमेशा की तरह कृष्ण लीला का सुंदर वर्णन आभारहमेशा की तरह कृष्ण लीला का सुंदर वर्णन आभारPallavi saxenahttps://www.blogger.com/profile/10807975062526815633noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-23465000021060726432011-11-11T13:27:20.940+05:302011-11-11T13:27:20.940+05:30आपकी कविता से कृष्ण के बारे में ज्ञान भी बढ़ रहा है...आपकी कविता से कृष्ण के बारे में ज्ञान भी बढ़ रहा है.. सुन्दर कविता...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-18160256689772574842011-11-11T13:27:02.658+05:302011-11-11T13:27:02.658+05:30आपकी कविता से कृष्ण के बारे में ज्ञान भी बढ़ रहा है...आपकी कविता से कृष्ण के बारे में ज्ञान भी बढ़ रहा है.. सुन्दर कविता...अरुण चन्द्र रॉयhttps://www.blogger.com/profile/01508172003645967041noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-80591223849248026052011-11-10T23:07:25.374+05:302011-11-10T23:07:25.374+05:30प्रभू की लीला अपरंपार है!
जय श्रीकृष्णा!प्रभू की लीला अपरंपार है!<br />जय श्रीकृष्णा!मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-71942795457352187102011-11-10T22:42:29.850+05:302011-11-10T22:42:29.850+05:30कृष्ण जी की लीलाएं बाल्यावस्था से ही आरंभ हो गयीं ...कृष्ण जी की लीलाएं बाल्यावस्था से ही आरंभ हो गयीं थीं...माँ को भी एहसास दिला दिया कि वो कोई सामान्य बालक नहीं हैं...Vaanbhatthttps://www.blogger.com/profile/12696036905764868427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-10373980005999954282011-11-10T21:10:00.866+05:302011-11-10T21:10:00.866+05:30कृष्ण लीला का सुंदर वर्णन अच्छा लगा ....कृष्ण लीला का सुंदर वर्णन अच्छा लगा ....Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-42622154743401384472011-11-10T18:15:25.734+05:302011-11-10T18:15:25.734+05:30रजोगुण के लिये रज-भक्षण बड़ा ही रोचक प्रसंग.एक सीरि...रजोगुण के लिये रज-भक्षण बड़ा ही रोचक प्रसंग.एक सीरियल का आनंद आ रहा हैSapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com )https://www.blogger.com/profile/00012875891407319363noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-66254121097936438782011-11-10T17:13:11.045+05:302011-11-10T17:13:11.045+05:30मानो, सामने घटित होती लीला।मानो, सामने घटित होती लीला।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-22194604973904878812011-11-10T14:42:12.791+05:302011-11-10T14:42:12.791+05:30अति सुंदर भाव और भावना !
शुभकामनायें आपको !अति सुंदर भाव और भावना !<br />शुभकामनायें आपको !Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-71678848237473491652011-11-10T13:46:43.674+05:302011-11-10T13:46:43.674+05:30भक्तिमय पोस्ट, बहुत अच्छा बखान किया है,आभार !
भगवा...भक्तिमय पोस्ट, बहुत अच्छा बखान किया है,आभार !<br />भगवान् की लीलाओं से बढ़कर जगत में कुछ नहीं,कवि अथवा कवियत्री की कलम सच्चे अर्थों में तभी संपूर्ण,अर्थपूर्ण व मंगलकारी होती है जब उससे भगवत महिमा निकले |<br />गोस्वामी तुलसीदास जी ने बालकाण्ड में इसका उल्लेख किया है -<br /><br />भगति हेतु बिधि भवन बिहाई। सुमिरत सारद आवति धाई॥2॥<br /><br />भावार्थ:-इसी तरह, बुद्धिमान लोग कहते हैं कि सुकवि की कविता भी उत्पन्न और कहीं होती है और शोभा अन्यत्र कहीं पाती है (अर्थात कवि की वाणी से उत्पन्न हुई कविता वहाँ शोभा पाती है, जहाँ उसका विचार, प्रचार तथा उसमें कथित आदर्श का ग्रहण और अनुसरण होता है)। कवि के स्मरण करते ही उसकी भक्ति के कारण सरस्वतीजी ब्रह्मलोक को छोड़कर दौड़ी आती हैं॥2॥<br /><br />राम चरित सर बिनु अन्हवाएँ। सो श्रम जाइ न कोटि उपाएँ॥<br />कबि कोबिद अस हृदयँ बिचारी। गावहिं हरि जस कलि मल हारी॥3॥<br /><br />भावार्थ:-सरस्वतीजी की दौड़ी आने की वह थकावट रामचरित रूपी सरोवर में उन्हें नहलाए बिना दूसरे करोड़ों उपायों से भी दूर नहीं होती। कवि और पण्डित अपने हृदय में ऐसा विचारकर कलियुग के पापों को हरने वाले श्री हरि के यश का ही गान करते हैं॥3॥<br /><br />कीन्हें प्राकृत जन गुन गाना। सिर धुनि गिरा लगत पछिताना॥<br />हृदय सिंधु मति सीप समाना। स्वाति सारदा कहहिं सुजाना॥4॥<br /><br />भावार्थ:-संसारी मनुष्यों का गुणगान करने से सरस्वतीजी सिर धुनकर पछताने लगती हैं (कि मैं क्यों इसके बुलाने पर आई)। बुद्धिमान लोग हृदय को समुद्र, बुद्धि को सीप और सरस्वती को स्वाति नक्षत्र के समान कहते हैं॥4॥<br /><br />जौं बरषइ बर बारि बिचारू। हो हिं कबित मुकुतामनि चारू॥5॥<br />भावार्थ:-इसमें यदि श्रेष्ठ विचार रूपी जल बरसता है तो मुक्ता मणि के समान सुंदर कविता होती है॥5॥Humanhttps://www.blogger.com/profile/04182968551926537802noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-30438891876851780322011-11-10T11:44:42.362+05:302011-11-10T11:44:42.362+05:30सुन्दर प्रस्तुति ..सुन्दर प्रस्तुति ..संगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-38417068485945180402011-11-10T11:37:08.707+05:302011-11-10T11:37:08.707+05:30यह प्रयास कृष्ण को गुनने का नहीं ,आपने तो उनको हमा...यह प्रयास कृष्ण को गुनने का नहीं ,आपने तो उनको हमारे बीच रख दिया ...रश्मि प्रभा...https://www.blogger.com/profile/14755956306255938813noreply@blogger.com