tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post189688931926971760..comments2023-11-05T18:19:51.693+05:30Comments on एक प्रयास: रिश्तों का सौंदर्यvandana guptahttp://www.blogger.com/profile/00019337362157598975noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-34477901080997182172010-11-11T14:03:11.993+05:302010-11-11T14:03:11.993+05:30भाई बहन का प्यार ऐसा ही होता है। बहुत सुन्दर लेख ...भाई बहन का प्यार ऐसा ही होता है। बहुत सुन्दर लेख !ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-37580321603773585522010-11-09T20:16:00.219+05:302010-11-09T20:16:00.219+05:30महाभारत धर्म युद्ध के बाद राजसूर्य यज्ञ सम्पन्न कर...महाभारत धर्म युद्ध के बाद राजसूर्य यज्ञ सम्पन्न करके पांचों पांडव भाई महानिर्वाण प्राप्त करने को अपनी जीवन यात्रा पूरी करते हुए मोक्ष के लिये हरिद्वार तीर्थ आये। गंगा जी के तट पर ‘हर की पैड़ी‘ के ब्रह्राकुण्ड मे स्नान के पश्चात् वे पर्वतराज हिमालय की सुरम्य कन्दराओं में चढ़ गये ताकि मानव जीवन की एकमात्र चिरप्रतीक्षित अभिलाषा पूरी हो और उन्हे किसी प्रकार मोक्ष मिल जाये।<br />हरिद्वार तीर्थ के ब्रह्राकुण्ड पर मोक्ष-प्राप्ती का स्नान वीर पांडवों का अनन्त जीवन के कैवल्य मार्ग तक पहुंचा पाया अथवा नहीं इसके भेद तो परमेश्वर ही जानता है-तो भी श्रीमद् भागवत का यह कथन चेतावनी सहित कितना सत्य कहता है; ‘‘मानुषं लोकं मुक्तीद्वारम्‘‘ अर्थात यही मनुष्य योनी हमारे मोक्ष का द्वार है।<br />मोक्षः कितना आवष्यक, कैसा दुर्लभ !<br />मोक्ष की वास्तविक प्राप्ती, मानव जीवन की सबसे बड़ी समस्या तथा एकमात्र आवश्यकता है। विवके चूड़ामणि में इस विषय पर प्रकाष डालते हुए कहा गया है कि,‘‘सर्वजीवों में मानव जन्म दुर्लभ है, उस पर भी पुरुष का जन्म। ब्राम्हाण योनी का जन्म तो दुश्प्राय है तथा इसमें दुर्लभ उसका जो वैदिक धर्म में संलग्न हो। इन सबसे भी दुर्लभ वह जन्म है जिसको ब्रम्हा परमंेश्वर तथा पाप तथा तमोगुण के भेद पहिचान कर मोक्ष-प्राप्ती का मार्ग मिल गया हो।’’ मोक्ष-प्राप्ती की दुर्लभता के विषय मे एक बड़ी रोचक कथा है। कोई एक जन मुक्ती का सहज मार्ग खोजते हुए आदि शंकराचार्य के पास गया। गुरु ने कहा ‘‘जिसे मोक्ष के लिये परमेश्वर मे एकत्व प्राप्त करना है; वह निश्चय ही एक ऐसे मनुष्य के समान धीरजवन्त हो जो महासमुद्र तट पर बैठकर भूमी में एक गड्ढ़ा खोदे। फिर कुशा के एक तिनके द्वारा समुद्र के जल की बंूदों को उठा कर अपने खोदे हुए गड्ढे मे टपकाता रहे। शनैः शनैः जब वह मनुष्य सागर की सम्पूर्ण जलराषी इस भांति उस गड्ढे में भर लेगा, तभी उसे मोक्ष मिल जायेगा।’’<br />मोक्ष की खोज यात्रा और प्राप्ती<br />आर्य ऋषियों-सन्तों-तपस्वियों की सारी पीढ़ियां मोक्ष की खोजी बनी रहीं। वेदों से आरम्भ करके वे उपनिषदों तथा अरण्यकों से होते हुऐ पुराणों और सगुण-निर्गुण भक्ती-मार्ग तक मोक्ष-प्राप्ती की निश्चल और सच्ची आत्मिक प्यास को लिये बढ़ते रहे। क्या कहीं वास्तविक मोक्ष की सुलभता दृष्टिगोचर होती है ? पाप-बन्ध मे जकड़ी मानवता से सनातन परमेश्वर का साक्षात्कार जैसे आंख-मिचौली कर रहा है;<br />खोजयात्रा निरन्तर चल रही। लेकिन कब तक ? कब तक ?......... ?<br />ऐसी तिमिरग्रस्त स्थिति में भी युगान्तर पूर्व विस्तीर्ण आकाष के पूर्वीय क्षितिज पर एक रजत रेखा का दर्शन होता है। जिसकी प्रतीक्षा प्रकृति एंव प्राणीमात्र को थी। वैदिक ग्रन्थों का उपास्य ‘वाग् वै ब्रम्हा’ अर्थात् वचन ही परमेश्वर है (बृहदोरण्यक उपनिषद् 1ः3,29, 4ः1,2 ), ‘शब्दाक्षरं परमब्रम्हा’ अर्थात् शब्द ही अविनाशी परमब्रम्हा है (ब्रम्हाबिन्दु उपनिषद 16), समस्त ब्रम्हांड की रचना करने तथा संचालित करने वाला परमप्रधान नायक (ऋगवेद 10ः125)पापग्रस्त मानव मात्र को त्राण देने निष्पाप देह मे धरा पर आ गया।प्रमुख हिन्दू पुराणों में से एक संस्कृत-लिखित भविष्यपुराण (सम्भावित रचनाकाल 7वीं शाताब्दी ईस्वी)के प्रतिसर्ग पर्व, भरत खंड में इस निश्कलंक देहधारी का स्पष्ट दर्शन वर्णित है, ईशमूर्तिह्न ‘दि प्राप्ता नित्यषुद्धा शिवकारी।31 पद<br />अर्थात ‘जिस परमेश्वर का दर्शन सनातन,पवित्र, कल्याणकारी एवं मोक्षदायी है, जो ह्रदय मे निवास करता है,<br />पुराण ने इस उद्धारकर्ता पूर्णावतार का वर्णन करते हुए उसे ‘पुरुश शुभम्’ (निश्पाप एवं परम पवित्र पुरुष )बलवान राजा गौरांग श्वेतवस्त्रम’(प्रभुता से युक्त राजा, निर्मल देहवाला, श्वेत परिधान धारण किये हुए )ईश पुत्र (परमेश्वर का पुत्र ), ‘कुमारी गर्भ सम्भवम्’ (कुमारी के गर्भ से जन्मा )और ‘सत्यव्रत परायणम्’ (सत्य-मार्ग का प्रतिपालक ) बताया है।<br />स्नातन शब्द-ब्रम्हा तथा सृष्टीकर्ता, सर्वज्ञ, निष्पापदेही, सच्चिदानन्द त्रिएक पिता, महान कर्मयोगी, सिद्ध ब्रम्हचारी, अलौकिक सन्यासी, जगत का पाप वाही, यज्ञ पुरुष, अद्वैत तथा अनुपम प्रीति करने वाला।<br />अश्रद्धा परम पापं श्रद्धा पापमोचिनी महाभारत शांतिपर्व 264ः15-19 अर्थात ‘अविश्वासी होना महापाप है, लेकिन विश्वास पापों को मिटा देता है।’<br />पंडित धर्म प्रकाश शर्मा<br />गनाहेड़ा रोड, पो. पुष्कर तीर्थ<br />राजस्थान-305 022Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-71479403027879934352010-11-09T00:00:57.572+05:302010-11-09T00:00:57.572+05:30हमेशा की तरह बहुत ही सुन्दर रचना . धन्यवाद !हमेशा की तरह बहुत ही सुन्दर रचना . धन्यवाद !ASHOK BAJAJhttps://www.blogger.com/profile/07094278820522966788noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-6577701465254694002010-11-07T23:29:37.474+05:302010-11-07T23:29:37.474+05:30बहुत सुंदर कहानी बचपन के उन दिनों को आपने अपनी कह...बहुत सुंदर कहानी बचपन के उन दिनों को आपने अपनी कहानी में उतरा जो कही न कही हमारे आस पास थी वंदना जी अच्छी कहानी के लिए बधाई !<br />कभी यहाँ भी पधारे .......कहना तो पड़ेगा ........amar jeethttps://www.blogger.com/profile/09137277479820450744noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-18018649008606954472010-11-07T20:20:36.056+05:302010-11-07T20:20:36.056+05:30Bhai dooj ke din ye prastuti behad achhee lagee!Bhai dooj ke din ye prastuti behad achhee lagee!kshamahttps://www.blogger.com/profile/14115656986166219821noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-19880803269516359912010-11-07T20:02:18.649+05:302010-11-07T20:02:18.649+05:30ऐसा ही होता है भई बहन का रिश्ता ...:):) सच को बतात...ऐसा ही होता है भई बहन का रिश्ता ...:):) सच को बताती अच्छी लघुकथासंगीता स्वरुप ( गीत )https://www.blogger.com/profile/18232011429396479154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-54114868908826767002010-11-07T19:32:29.837+05:302010-11-07T19:32:29.837+05:30भैया दूज के अवसर पर भाई बहन के अनूठे संबंधों को उक...भैया दूज के अवसर पर भाई बहन के अनूठे संबंधों को उकेरती एक खूबसूरत प्रस्तुति. आभार.<br />सादर <br />डोरोथी.Dorothyhttps://www.blogger.com/profile/03405807532345500228noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-9704414938391267442010-11-07T18:58:38.649+05:302010-11-07T18:58:38.649+05:30बचपन का दृश्य दिखाती एक बढ़िया पोस्ट!
काश् हम बड़े...बचपन का दृश्य दिखाती एक बढ़िया पोस्ट!<br />काश् हम बड़े भी बच्चों से कुछ सीख ले पाते!डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'https://www.blogger.com/profile/09313147050002054907noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-35052174297847034612010-11-07T14:26:10.911+05:302010-11-07T14:26:10.911+05:30बचपन की याद दिलाती सुन्दर कहानी| धन्यवाद|बचपन की याद दिलाती सुन्दर कहानी| धन्यवाद|Patali-The-Villagehttps://www.blogger.com/profile/08855726404095683355noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-5305022562081896122010-11-07T12:18:07.290+05:302010-11-07T12:18:07.290+05:30समयानुकूलित पोस्ट वाह वो दिन याद आगये जब बिन्दू से...समयानुकूलित पोस्ट वाह वो दिन याद आगये जब बिन्दू से ऐसे ही लड़ता था <br /><a href="http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/11/blog-post_05.html/" rel="nofollow">बराक़ साहब के नाम एक खत</a><br /> <a href="http://sanskaardhani.blogspot.com/2010/11/blog-post_06.html/" rel="nofollow">महाजन की भारत-यात्रा</a>बाल भवन जबलपुर https://www.blogger.com/profile/04796771677227862796noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-58715455036186280062010-11-07T10:28:24.427+05:302010-11-07T10:28:24.427+05:30भैयादूज पर यह पोस्ट भाई बहन के स्नेह को दर्शाती है...भैयादूज पर यह पोस्ट भाई बहन के स्नेह को दर्शाती है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4960090522240028181.post-85929082759683289342010-11-07T08:50:50.967+05:302010-11-07T08:50:50.967+05:30बहोत ही सुंदर कहानी........आभारबहोत ही सुंदर कहानी........आभारआशीष मिश्राhttps://www.blogger.com/profile/15289198446357998161noreply@blogger.com