राम
जाने क्यों हम तुम्हें मानव ही न मान पाए
महामानव भी नहीं
ईश्वरत्व से कम पर कोई समझौता कर ही न पाए
शायद आसान है हमारे लिए यही
सबसे उत्तम और सुलभ साधन
वर्ना यदि स्वीकारा जाता
तुम्हारा मानव रूप
तो कैसे संभव था
अपने स्वार्थ की रोटी का सेंका जाना ?
आसान है हमारे लिए ईश्वर बनाना
क्योंकि
ईश्वर होते हैं या नहीं, कौन जान पाया
हाँ, ईश्वर बनाए जरूर जाते हैं
क्योंकि तब आसान होता है
न केवल पूजना बल्कि पुजवाना भी
हथियार उठाना भी
बबाल मचाना भी
धर्म की वेदी पर नरसंहार शगल जो ठहरा मानव मन का
आस्था अनास्था प्रतीकात्मक धरोहर सी
ढोयी जाने को विवश हैं
धर्म की ठेकेदारी के लिए जरूरी था तुम्हारा ईश्वरीय रूप
वर्ना देखने वाले देख भी सकते थे
और समझ भी सकते थे
मानव सुलभ कमजोरियों से घिरे कितना असहाय थे तुम भी
यहाँ बलि देकर ही पूजे जाने का रिवाज़ है
फिर वो पशु की हो या इंसान की
वाल्मीकि के राम से तुलसी के राम तक का सफर
अपनी विभीषिका के साथ चरम पर है
यहाँ ईश्वर स्वीकारा जाना आसान है बनिस्पत मानव स्वीकारे जाने के
अब मारना ही होगा हर साल तुम्हें सबका मनचाहा रावण
कि युग परिवर्तन का दौर है ये
तुम्हारे होने न होने
तुम्हारे माने जाने न माने जाने से परे
हम जानते हैं भुनाना अपने पक्ष में हर चीज को
फिर वो ईश्वर हो या मानव