श्याम मोहन मदन मुरारी
राधे- राधे रटती प्यारी
कृष्ण केशव कुञ्ज बिहारी
रमता जोगी बहता पानी
आनंद कंद मुरली धारी
जमुना जी की महिमा न्यारी
गोविन्द माधव गिरिवरधारी
खोजत -खोजत सखियाँ हारी
आनंदघन अविनाशी त्रिभुवनधारी
कुञ्ज- कुञ्ज में बसे गिरधारी
नटवर नागर छैल बिहारी
रोम- रोम में रमे मुरारी
सुखधाम सुधासम कृष्ण मुरारी
कण -कण में रम रहे रमणबिहारी
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शनिवार, 26 जून 2010
गुरुवार, 17 जून 2010
दिव्य प्रेम
प्रेम प्रतिकार
नहीं मांगता
तुझसे तेरे
होने का हिसाब
नहीं मांगता
प्रेम तो
प्रेमी का
दीदार भी
नहीं मांगता
जो रूह
बन गया हो
जो साँसों में
समा गया हो
जो जिस्म के
रोएँ- रोएँ में
बस गया हो
फिर दीदार
किसका करे
और कौन करे
जब दो हों
तो दीदार हो
जब दो हों तो
प्रतिकार हो
जहाँ एकाकार
हो गया हो
प्रेम और प्रेमी का
वहाँ
कोई बँधन नहीं
कोई चाहत नहीं
वहाँ
पूर्णता में लिप्त
आनंद की
स्वरलहरियाँ
गुंजारित होती हैं
रोम- रोम
उल्लसित
पुलकित
प्रफुल्लित
कुसुम सा
महकता है
शरीर नगण्य
हो जहाँ
बस दिव्य प्रेम पनपता है वहाँ
नहीं मांगता
तुझसे तेरे
होने का हिसाब
नहीं मांगता
प्रेम तो
प्रेमी का
दीदार भी
नहीं मांगता
जो रूह
बन गया हो
जो साँसों में
समा गया हो
जो जिस्म के
रोएँ- रोएँ में
बस गया हो
फिर दीदार
किसका करे
और कौन करे
जब दो हों
तो दीदार हो
जब दो हों तो
प्रतिकार हो
जहाँ एकाकार
हो गया हो
प्रेम और प्रेमी का
वहाँ
कोई बँधन नहीं
कोई चाहत नहीं
वहाँ
पूर्णता में लिप्त
आनंद की
स्वरलहरियाँ
गुंजारित होती हैं
रोम- रोम
उल्लसित
पुलकित
प्रफुल्लित
कुसुम सा
महकता है
शरीर नगण्य
हो जहाँ
बस दिव्य प्रेम पनपता है वहाँ
गुरुवार, 10 जून 2010
प्रीत का रंग
प्रीत चदरिया ऐसी ओढ़ी
हो गयी मैं बेगानी
अपना पता खोजती डोलूं
बन के मैं दीवानी
बांसुरी की धुन पर
वन -वन खोजूं
बन के मैं मतवाली
श्याम प्रीत की
ओढनी ओढ़ के
हो गयीं मैं अनजानी
श्याम के रंग में
ऐसी रंग गयीं
हो गयी मैं भी कारी
श्याम रंग की चुनरिया
पर मैं जाऊं वारी -वारी
प्रीत की सब रीतें भुला दूँ
तन -मन की सुधि बिसरा दूँ
प्रेम धुन पर ऐसे
नाचूँ छम- छम
होकर मैं मतवाली
हो गयी मैं बेगानी
अपना पता खोजती डोलूं
बन के मैं दीवानी
बांसुरी की धुन पर
वन -वन खोजूं
बन के मैं मतवाली
श्याम प्रीत की
ओढनी ओढ़ के
हो गयीं मैं अनजानी
श्याम के रंग में
ऐसी रंग गयीं
हो गयी मैं भी कारी
श्याम रंग की चुनरिया
पर मैं जाऊं वारी -वारी
प्रीत की सब रीतें भुला दूँ
तन -मन की सुधि बिसरा दूँ
प्रेम धुन पर ऐसे
नाचूँ छम- छम
होकर मैं मतवाली
मंगलवार, 1 जून 2010
सखी री मेरे नैना भये चितचोर
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
श्याम को चाहें
श्याम को निहारें
प्रेम सुधा में
भीग- भीग जावें
मुझ बैरन के
हिय को रुलावैं
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
श्याम छवि पर
बलि -बलि जावें
मधुर स्मित पर
लाड- लड़ावें
मुझ बेबस की
एक ना मानें
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
श्याम पर रीझें
श्याम को रिझावें
मुरली की धुन पर
बरस- बरस जावें
मुझ बिरहन के
विरह को बढ़ावें
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
नैना भये चितचोर
श्याम को चाहें
श्याम को निहारें
प्रेम सुधा में
भीग- भीग जावें
मुझ बैरन के
हिय को रुलावैं
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
श्याम छवि पर
बलि -बलि जावें
मधुर स्मित पर
लाड- लड़ावें
मुझ बेबस की
एक ना मानें
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर
श्याम पर रीझें
श्याम को रिझावें
मुरली की धुन पर
बरस- बरस जावें
मुझ बिरहन के
विरह को बढ़ावें
सखी री मेरे
नैना भये चितचोर