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शुक्रवार, 19 अप्रैल 2013

या फिर बस हम मनाते रहें प्रतीक स्वरूप तुम्हारा जन्म राम नवमी को



सुना है जब तुम्हारा अवतरण हुआ था धरा पर 
ॠतुएँ अनुकूल हो गयी थीं 
चहूँ ओर उल्लासमय वातावरण छा गया था 
हर ह्रदय परमानन्द मे मगन हुआ था 
मानो तुमने उनके ही आँगन मे जन्म लिया हो 
मगर आज सोचती हूँ राम 
कैसे होगा तुम्हारा अवतरण धरा पर 
जहाँ नर पिशाचों का डेरा लगा है 
कहीं ना कोई महफ़ूज़ रहा है 
नारी की अस्मिता तार तार हुयी है
सिर्फ़ और सिर्फ़ खौफ़ का साया तांडव कर रहा है 
कोई बहन बेटी ना महफ़ूज़ रही है 
घनघोर अंधियारा छाया हुआ है 
मानसिकता पर कालिख पुती हुयी है
 बस वासना और हैवानियत का नंगा नाच हो रहा है 
फिर चाहे आम जनता उसमें झुलस रही है 
कभी बम विस्फ़ोट की आड में 
तो कहीं सडकों पर रक्षक ही भक्षक बन नोंच रहे हैं 
अत्याचार ही अत्याचार हो रहे हैं 
हे राम ! क्या ले सकोगे जन्म इन हालात में ? 
हे राम ! क्या कर सकोगे स्थापित फिर से मर्यादायें जीवन में ? 
हे राम ! ये दिन में छायी काली अँधियारी है 
क्या मिटा सकोगे इसका नामोनिशान फिर से जन्म लेकर 
या फिर तुम भी अब यहाँ आने से हिचकते हो 
जहाँ मर्यादायें , भरोसे और सम्मान पर तुषारापात होता हो 
हे राम ! आज जरूरत है तुम्हारी 
मगर मैं सोच में हूँ तुम्हें तो आदत है ॠतुओं के अनुकूल होने पर ही आगमन की
क्या इस बार बिना किसी शोर शराबे के , 
बिना तुम्हारे आगमन की पूर्व सूचना के हो सकेगा तुम्हारा अवतरण ? 
क्या कर सकोगे तुम ऐसा ………
नर पिशाचों के बीच जन्म लेकर कर सकोगे धनुष की टंकार 
और कर सकोगे अपने उदघोष को सार्थक ………

जब जब होये धर्म की हानि 
बाढहिं असुर महा अभिमानी 
तब तब प्रगट भये प्रभु राम 
पतित पावन सीता राम 
या 
यदा यदा ही धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत 
अभ्युत्थानंधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम 

या 

फिर बस हम मनाते रहें 
प्रतीक स्वरूप तुम्हारा जन्म राम नवमी को 
चाहे अन्दर बेबसी, विवशता का एक दावानल सुलग रहा हो 
आज के रावणों से त्रस्त होकर 
या तुम खुश हो इन हालातों को देखकर 
प्रतीक स्वरूप राम नवमी मनाये जाने को देखकर 
इसलिये नहीं होता अब तुम्हारा अवतरण धरा पर 

हे राम ! आज रामनवमी पर 
तुमसे ये प्रश्न तुम्हारे जीव पूछ रहे हैं 
अगर दे सको जवाब तो जरूर देना ………हम इंतज़ार में हैं 

1 टिप्पणी:

आप सब के सहयोग और मार्गदर्शन की चाहत है।