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गुरुवार, 1 जनवरी 2015

जब भी निहारना हो खुद को





जब भी निहारना हो खुद को 
मेरे मन दर्पण में  
अक्स देख लेना 
खुद से कुछ
इस तरह मिल लेना 
बस यहीं तक है मेरा अधिकार 
और तुम्हारा इंतज़ार 

जरूरत नहीं तुम्हें 
कोई शुभ लग्न तिथि मुहूर्त या वार देखने की 
मेरे ह्रदय कमल खुला है 
चारों पहर आठों याम 

प्रेम भक्ति के भावों से भरे घर में 
स्वागत है तुम्हारा  
ओ कान्हा
२०१५ में मेरे घर आना 

नववर्ष मंगलमय हो कान्हा !!!

7 टिप्‍पणियां:

  1. अवश्य आयेगा। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  2. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  3. सार्थक प्रस्तुति।
    --
    आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
    ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
    इसी कामना के साथ...
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

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  5. आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

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  6. आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!

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  7. आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं

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