करो स्वीकार मेरी ये सेवा
जाने कितने युग बीते
जाने कितने जन्म रीते
पल पल खाए मुझे ये तृष्णा
मैं बनूँ सुवास तुम्हारी कृष्णा
जाने कब बसंत बीता
जाने कब सावन रीता
चेतनता हुई मलीन कृष्णा
मैं बनूँ सुवास तुम्हारी कृष्णा
जाने कितनी प्यासी हूँ
जन्म जन्म की दासी हूँ
चरण शरण आई कृष्णा
मैं बनूँ सुवास तुम्हारी कृष्णा
(एक बहुत लम्बे अंतराल बाद कान्हा ने बाँसुरी बजाई)
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