सुनो
तुम्हें ढूंढ रही हूँ
जन्मों से
रूह आवारा
भटकती
फिरती है
इक तेरी
खोज में
और तू
जो मेरे
वजूद का
हिस्सा नहीं
वजूद ही
बन गया है
ना जाने
फिर भी
क्यूँ मिलकर भी
नहीं मिलता
सिर्फ अहसासों में
मौजूद होने से
क्या होगा
अदृश्यता में
दृश्यता को बोध
होने से क्या होगा
नैनों के दरवाज़े से
दिल के आँगन में
अपना बिम्ब तो
दिखलाओ
इक झलक
पाने को
तरसती
इस रूह की
प्यास तो
बुझा जाओ
ओ मेरे प्यारे
राधा सा विरह
तो दे दिया
मुझे भी अपनी
राधा तो बना जाओ
श्याम के रंग में रंगी इस पोस्ट की तारीफ के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना है!
ati sundar...
जवाब देंहटाएंBahut sundar , prem ras kee dhaar !!
जवाब देंहटाएंहे री मैं तो प्रेम दीवानी
जवाब देंहटाएंमेरा दर्द न जाने कोय .....
Kaise kanhu , kanhi shuru karte hi shabd khatm na ho jaye.
जवाब देंहटाएंAti Sunder
me teri diwani ban gai gai he shayam mujhe apna le
जवाब देंहटाएंbahut khub
shekhar kumawat
Wah, Vandana, wah!
जवाब देंहटाएंprem rang na padwe feeka..
जवाब देंहटाएंaap roj hi likhti hain kya, ya pahle ke likhe hain ye sare?/
और तू
जवाब देंहटाएंजो मेरे
वजूद का
हिस्सा नहीं
वजूद ही
बन गया है
बहुत ही गहरी पंक्तियाँ...सुन्दर रचना
Bahut khoob ... Raadha sa virah de kar Raadha nahi banaata ... bahut hi ache bhaav hain .. meetha sa ulhaana deti hai ye khoobsoorat rachna ..
जवाब देंहटाएंprem ke pavitra ehsaas me lipti ek khubsurat kavita...
जवाब देंहटाएंkafi accha laga padhkar.
regards-
#ROHIT
prem ke pavitra ehsaas me lipti ek khubsurat kavita...
जवाब देंहटाएंkafi accha laga padhkar.
regards-
#ROHIT
कृष्ण के प्रेम में पगी खूबसूरत कृति....मन आनंदित हुआ ..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी पोस्ट।
जवाब देंहटाएंwaah mujhe radha bana to jao..bahut khoob...
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर रचना ... ह्रदय की ब्याकुलता को दर्शाती ...
जवाब देंहटाएंप्रेम की व्याकुलता दर्शाती भावपूर्ण रचना
जवाब देंहटाएं.......हार्दिक शुभकामनाएं
आपने राधा का विरह और आम भारतीय स्त्री की पीड़ा को सफल अभिव्यक्ति दी है।
जवाब देंहटाएंवजूद बन गया ैै ना जाने फिर भी कहकर आप बहुत कुछ कह देती ह।
सच में वंदना जी उस अनन्त शक्ति से विरह का जो अहसास है ,, आत्मा की जो तड़पन है , है वो ना जाने कितने दुखो के बराबर है ,,,,,आत्मा की छट पटाहट और मिलन की उत्कंठा की हद दिखाती रचना
जवाब देंहटाएंसादर
प्रवीण पथिक
9971969084
nice.
जवाब देंहटाएंbahut hi khoobsurat...
जवाब देंहटाएंaapne bahutahi sunder shabdon ka guldasta pesh kiya hai, dhanyawaad!
जवाब देंहटाएंshabdon ki gahraai main hi bhavarth chhupa hai
जवाब देंहटाएंbahut kuchh kah diya hai.
achchha laga
dil ko chhu jati hai
जवाब देंहटाएंdil ko chhu jati hai
जवाब देंहटाएंdil ko chhu gaya
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