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सोमवार, 11 अक्टूबर 2010

परसों आने का वादा करके ................

परसों आने का 
वादा करके 
मोहे भूल गए
साँवरिया 

बातों का भुलावा 
दे गए मोहन
करके कितनी 
चिरोरियाँ
मोहे भूल गए
साँवरिया 


छवि दिखला के 
अपना बनाकर
भुलावा दे गए
प्रीतम

दिखा के अपनी 
सुरतिया 
मोहे भूल गए
साँवरिया


प्रेम का दीप
जलाकर

विरह वेदना को
बढाकर 

 हाथ छोड़ गए
मोहनिया
मोहे भूल गए
साँवरिया


बरसों बीते
श्याम बिन रीते
ना जानी साँझ
और दुपहरिया
मोहे भूल गए
साँवरिया

24 टिप्‍पणियां:

  1. बताओ..वादा करके भूल गये...

    सुन्दर रचना...

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  2. आदरणीय वंदना जी

    ....प्रशंसनीय रचना - बधाई

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  3. परसों आने का
    वादा करके
    मोहे भूल गए
    साँवरिया

    PREYASI KI VIRAH VEDNA SAAF JHALKTI HAI....

    जवाब देंहटाएं
  4. ""परसों मिलने का वादा कर भूल गए सांवरियां .... ""

    बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना .बढ़िया प्रस्तुति... आभार वंदना जी

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  5. बहुत सुन्दर रचना लिकी है आपने वन्दना जी!
    --
    इस रचना को पढ़कर
    यह गीत जुवान पर आ ही गया-
    --
    भुला नही देना जी.. भुला नही देना!
    जमान खराब है, दगा नही देना जी..
    दगा नहा देना....!

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  6. बरसों बीते
    श्याम बिन रीते
    ना जानी साँझ
    और दुपहरिया
    मोहे भूल गए
    साँवरिया.....

    बहुत सुन्दर प्रस्तुति...भावनाओं और शब्दों का सुन्दर संगम...बधाई..

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  7. वन्दना जी . अच्छा भजन है । लोकप्रियता मिलेगी ।

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  8. श्याम के बिन राधा के विरह की पीड़ा का सचित्र वर्णन किया है बहुत ही मार्मिक रचना

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  9. वंदना जी इस परसों शब्द में बहुत कुछ छुपा है.. प्रेम में परसों हमेशा ही अषाढ़ के बादलों की तरह निर्मोही होता है..आपके मोहन जो पढ़ लेंगे इसे.. आज ही दौड़े आयेंगे.. सुंदर कविता..

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  10. कृष्ण तो हमेशा से छलिया रहे हैं ...सुन्दर विरह वर्णन

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  11. बहुत सुन्दर और भावपूर्ण रचना! उम्दा प्रस्तुती!

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  12. bahut hi chaliya hain wo, aapko pata the to dil kyun lagaya !

    nice poem

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  13. prem ka deepak jalakar
    virah vedna ko badhakar

    achchha likha vandana ji . shayad ek bhakt hi is pain ko samajh sakta hai. baki ko to bas shabd lagte hain .
    thanks 4 these 2 lines.

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  14. बहुत अच्छी प्रस्तुति .

    श्री दुर्गाष्टमी की बधाई !!!

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  15. दशहरा की ढेर सारी शुभकामनाएँ!!

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  16. .

    वादा तो निभाना चाहिए भाई...

    सुन्दर प्रस्तुति।

    .

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  17. kavitayen bhi aap ki achhi bahut achin hain,
    bahut - bahut shubh kamna ki aap aisi hi likhti rahen

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