वो जो हर पल
नैनों में समाये रहते हैं
जहाँ पलकें भी
स्थिर हो जाती हैं
दृष्टि निर्मिमेष
हो जाती है
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
वो जो हर पल
धड़कन में
समाये रहते हैं
मुरली मधुर बजाते हैं
मुझे हरदम
नाच नाचते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
वो जो हर पल
सांसों के मनकों में
समाये रहते हैं
हर आती जाती
सांस संग धड़कते हैं
सांसों की आवाजाही में
मोती बन चमकते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ
जहाँ जिस्मों से परे
आत्मिक मिलन
हो गया हो
वहाँ कैसे कहूं
याद आ रही है
कोई तो बता दे
अब कैसे कहूं
याद आ रही है
नैनों में समाये रहते हैं
जहाँ पलकें भी
स्थिर हो जाती हैं
दृष्टि निर्मिमेष
हो जाती है
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
वो जो हर पल
धड़कन में
समाये रहते हैं
मुरली मधुर बजाते हैं
मुझे हरदम
नाच नाचते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
वो जो हर पल
सांसों के मनकों में
समाये रहते हैं
हर आती जाती
सांस संग धड़कते हैं
सांसों की आवाजाही में
मोती बन चमकते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है
याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ
जहाँ जिस्मों से परे
आत्मिक मिलन
हो गया हो
वहाँ कैसे कहूं
याद आ रही है
कोई तो बता दे
अब कैसे कहूं
याद आ रही है