सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे
तेरी प्यारी राह तकत है
बैठी बिरहा की मारी
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे
सुबह शाम का होश नहीं है
तनमन की सुध बिसरत है
कोई प्रियतम से मिलवा दे
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे
मेरे सलोने नटवर नागर
नैनन की प्यास बुझा दे
बस इक बेर दरस दिखा दे
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे
sunder likha
जवाब देंहटाएंविंडो 7 , xp में ही उठायें विंडो 8 का लुफ्त
विंडो 7 को upgrade करने का तरीका
बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
जवाब देंहटाएंमन की बातें कोई पहुँचा दे उन तक आज..
जवाब देंहटाएंअपने आप ही पहुँच जाएगा संदेश .... कृष्ण से भला कहाँ कुछ छिपा है
जवाब देंहटाएंजो रचना कलम से होती है हमारा मन पहले वहाँ जाता है,कलम ने जैसे जैसे शब्दों को उकेरा वैसे वैसे संदेश खुद ही चला गया ! सुन्दर आग्रह रचना के लिए बधाई !!
जवाब देंहटाएंchitranshsoul.blogspot.com
सुंदर संदेशा आत्म निरिक्षण जैसा ......
जवाब देंहटाएंसुंदर संदेशा आत्म निरिक्षण जैसा ......
जवाब देंहटाएंप्रेरणादायक , अति सुंदर रचना ,राम भगतों को भी कृष्णा प्रेमोनमत्त कर दिया -
जवाब देंहटाएंसखी री संदेशा पहुंचा री , कांन्ह तक
संदेशा पहुंचा री !
राधा प्यारी राह तकत है ,http://www.blogger.com/profile/02397604308408596994
बैठ बिरह की मारी ,
भीज गया असुवन से तन मन
भीजी सगरी सारी
सखी री ---------
सुबह शाम की होश नहीं है,
कुछ करने का जोश नहीं है,
तन मन की सुधि बिसर गई है,
यह बृषभानु दुलारी
सखी री ----------
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