पेज

शुक्रवार, 25 अप्रैल 2014

अब कौन रंग रांचू रे…




मनमोहक रूप नैनों में समाया
देख तेरे लिए मैंने जग को बिसराया
अब तू भी अपना बना ले मुझे
देख तेरे लिए मैंने खुद को भुलाया 


मै तो हो गयी श्याम की दीवानी अब कौन रंग रांचू रे……



हाय मोहन ! तुम ऐसे ही बस जाओ ना नैनन मे 

मै बावरी तुम्हें निहारूँ नित नित मन कुंजन मे


देखूं छवि चहुँ ओर तिहारी मै मन वृन्दावन मे 

हाय श्याम!क्यों मिल नही जाते बृज गलियन मे


 दृग चातक भये राह तकत श्याम 

अब बसो मेरे पलकन की ओटन मे


मै मीरा सी नाचूँ दीवानी भीज श्याम रंगन मे 


तुम्हरे प्रेम की बनूँ मै मूरत तिहारे मन दर्पण मे 


मै तो हो गयी श्याम की दीवानी अब कौन रंग रांचू रे……

3 टिप्‍पणियां:

आप सब के सहयोग और मार्गदर्शन की चाहत है।