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शुक्रवार, 2 मई 2014

आवाज़ दे कहाँ है ..........




मैं तो भयी रे बावरिया
बनी रे जोगनिया
श्याम तेरे नाम की
श्याम तेरे नाम की
आवाज़ दे कहाँ है
दीवानी तेरी यहाँ है ...........

गली गली ढूँढूँ

अलख जगाऊँ
तेरे नाम पर
मिट मिट जाऊँ
मैं हो के बावरिया
आवाज़ दे कहाँ है
दीवानी तेरी यहाँ है ...........

आँगन बुहारूँ 

या चूल्हा जलाऊँ
नित नित तेरा
दर्शन पाऊँ
मैं तो बन के दिवानिया
आवाज़ दे कहाँ है
दीवानी तेरी यहाँ है ...........

एक आस ही

जिला रही है
ये संदेसा पहुँचा रही है
तेरे चरणों से
लिपट लिपट जाऊँ
मैं बन के धूल के कणिया
आवाज़ दे कहाँ है
दीवानी तेरी यहाँ है ...........


(अपने चरण कमल दरस दीवानी का 
बिहारी जी यहीं से नमन करो स्वीकार )

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