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गुरुवार, 21 अप्रैल 2016

जन्मदिन हो या वैवाहिक वर्षगाँठ

जन्मदिन हो या वैवाहिक वर्षगाँठ , यदि भूल जाए कोई एक भी तो उसकी आफत .......लेकिन क्यों ? क्या ये सोचने का विषय नहीं ?

अब जन्मदिन तुम्हारा . तुम जन्मे उस दिन जरूरी थोड़े ही तुम्हारा पार्टनर भी उसे याद रखे और खुश होने का दिखावा करे . एक तो तुम पार्टनर की ज़िन्दगी में कम से कम २० से २५ साल बात आते हो और उससे उम्मीद करते हो वो तुम्हारा जन्मदिन याद रखे . क्या उसे और कोई काम नहीं . फिर क्या पता वो तुम्हारा जन्मदिन मनाने में खुश है भी या नहीं . आज व्यावहारिक होना ज्यादा जरूरी है बजाय भावनात्मक होने के . बेशक एक सम्बन्ध जुड़ता है पति पत्नी का लेकिन वहां यही अपेक्षाएं अक्सर बेवजह की कलह का कारण बन जाती हैं . 
 
ऐसा ही कुछ आज के युवा के साथ होता है जिस वजह से ज्यादातर रिलेशन बीच राह में ही टूट जाते हैं क्योंकि वो तो जुड़ते ही इस वजह से हैं कि पार्टनर हमारी हर इच्छा पूरी करेगा और जब वैसा नहीं होता तो ब्रेक अप . फिर दूसरे को पकड़ लेते हैं लेकिन कहीं ठौर नहीं पाते क्योंकि दिशाहीन होते हैं . सम्बन्ध कोई भी हो वहां यदि इस तरह की चाहतें होंगी तो संभव ही नहीं दूर तक जा सकें . 

इसी तरह वैवाहिक वर्षगाँठ की बात है . अब सोचिये जरा कोई बेचारा / बेचारी विवाह से खुश नहीं तो क्यों वो उस मनहूस दिन को याद रखेंगे ? उस पर पार्टनर की चाहत कि न सिर्फ याद रखा जाए बल्कि कोई महंगा गिफ्ट भी दिया जाए और बाहर डिनर भी किया जाए . सोचिये जरा बेमन से किया गया कार्य क्या ख़ुशी दे सकता है जिसमे एक खुश हो और दूसरा जबरदस्ती दूसरे की ख़ुशी में खुश होने का दिखावा भर कर रहा हो . जब सम्बन्ध ही मायने न रखता हो वहां दिखावे का क्या औचित्य ?

यदि इन बेवजह की औपचारिकताओं से सम्बन्ध को मुक्त रखा जाए तो आधी कलह तो जीवन से वैसे ही समाप्त हो जाए मगर हम भारतीय कुछ ज्यादा ही भावुक होते हैं और आधे से ज्यादा जीवन इसी भावुकता में व्यतीत कर देते हैं . बाद में कुछ भी हाथ नहीं लगता . यदि थोडा व्यावहारिक बनें और संबंधों को स्वयं पनपने दें , उन्हें थोडा उन्मुक्त आकाश दें तो स्वयमेव एक ऐसी जगह बना लेंगे जहाँ आपको कहना नहीं पड़ेगा बल्कि पार्टनर खुद स्वयं को समर्पित कर देगा .

3 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (22 -04-2016) को "आओ बचाएं अपनी वसुन्धरा" (चर्चा अंक-2320) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
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    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. जन्मदिन हो या वैवाहिक वर्षगाँठ खुश होने का एक बहुत अच्छा समय है ... आपस में मिल बैठ खुश हो लेते हैं इसी बहाने ..
    और हाँ मेरा मानना है प्यार जरुरी है आपसी सम्बन्धों के लिए .. और हाँ इसके लिए तिथि नियत की जाय या याद की जाय जरुरी नहीं ,,,

    बढ़िया चिंतन ..

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