पेज

गुरुवार, 25 अगस्त 2016

मन महोत्सव बने तो

 
 
मन महोत्सव बने तो
गाऊँ गुनगुनाऊँ
उन्हें रिझाऊँ
कमली बन जाऊँ

मगर
मन मधुबन उजड़ गया
उनका प्यार मुझसे बिछड़ गया

अब
किस ठौर जाऊँ
किस पानी से सींचूं
जो मन में फिर से
उनके प्रेम की बेल उगाऊँ

मन महोत्सव बने तो
सखी री
मैं भी श्याम गुन गाऊँ 
युगों की अविरल प्यास बुझाऊँ 
चरण कमल लग जाऊँ
मैं भी श्याम सी हो जाऊँ....

4 टिप्‍पणियां:

  1. मन महोत्सव बने तो
    सखी री
    मैं भी श्याम गुन गाऊँ
    युगों की अविरल प्यास बुझाऊँ
    चरण कमल लग जाऊँ
    मैं भी श्याम सी हो जाऊँ....

    .. मन महोत्सव बनना ही तो श्याम से जुड़ना है। .

    बहुत सुन्दर
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  2. मन महोत्सव बने तो
    सखी री
    मैं भी श्याम गुन गाऊँ
    युगों की अविरल प्यास बुझाऊँ
    चरण कमल लग जाऊँ
    मैं भी श्याम सी हो जाऊँ....

    .. मन महोत्सव बनना ही तो श्याम से जुड़ना है। .

    बहुत सुन्दर
    कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें!

    जवाब देंहटाएं
  3. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन 'युगपुरुष श्रीकृष्ण से सजी ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

    जवाब देंहटाएं
  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (27-08-2016) को "नाम कृष्ण का" (चर्चा अंक-2447) पर भी होगी।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

    जवाब देंहटाएं

आप सब के सहयोग और मार्गदर्शन की चाहत है।