धीर धरो सखि पिया आवेंगे
गले लगावेंगे
झूला झुलावेंगे
मन के हिंडोलों पर
पींग बढावेंगे
नैनो से कहो
नीर ना बहावें
राह बुहारें
चुन चुन प्रीत की
कलियाँ बिछावें
उम्मीद की बाती जलावें
प्रेम रस की फ़ुहारें छलकावें
रुक ना पावेंगे
दौडे चले आवेंगे
तेरे प्रेम पर वारि वारि जावेंगे
धीर धरो सखि पिया आवेंगे
प्रेम की प्यास उधर भी जगी है
प्यासी मुरली अधरों पे सजी है
प्रेम अगन इतना बढ़ा ले
कि मोहन कुंजन में रुक न पावे
सखियाँ को छोड़ दौड़े दौड़े आवें
प्रेम मुरलिया तुझे ही बना लें
और अधरों पर सजा लें
फिर प्रेम की रागिनी बजावें
सुध बुध अपनी भी बिसरावें
तू मैं का हर भेद मिटावें
प्रेम रस धार बहावें
यूं मुरली की तान बढावें
रसो वयि सः तुझे बनावें
मधुर मिलन यूं हो जाए
साकार से निराकार बनावें
बस तू
प्रेम अगन इतना बढ़ा ले
धीर धरो सखि पिया आवेंगे
Bahot hi sundr rachna !!!
जवाब देंहटाएंनिर्मल प्रेम का एहसास सहज ही उत्पन हो जाता है ...
जवाब देंहटाएंउम्दा ...
beautiful
जवाब देंहटाएंबहुतत सुन्दर भाव..
जवाब देंहटाएंब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन यात्रा रुकेगी नहीं ... मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
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जवाब देंहटाएंवाह . बहुत उम्दा,
बहुत ही सुन्दर और सार्थक प्रस्तुती,आभार.
जवाब देंहटाएं-सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअनुशरण कर मेरे ब्लॉग को अनुभव करे मेरी अनुभूति को
latest post: प्रेम- पहेली
LATEST POST जन्म ,मृत्यु और मोक्ष !
bahut sundar bhavon ko shabdon me piroya hai aapne जो बोया वही काट रहे आडवानी
बहुत खूब, खूबशूरत अहसाह ,बेहतरीन सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंबेहद सुन्दर प्रस्तुति ....!
जवाब देंहटाएंआपको सूचित करते हुए हर्ष हो रहा है कि आपकी इस प्रविष्टि की चर्चा कल बुधवार (11-06-2013) के अनवरत चलती यह यात्रा बारिश के रंगों में .......! चर्चा मंच अंक-1273 पर भी होगी!
सादर...!
शशि पुरवार
काश..!!!!!!!!!!!!!!!
जवाब देंहटाएंउम्दा ...
जवाब देंहटाएंitna vishwas hai to piya ko aana hi pdega ..ati sundar .....
जवाब देंहटाएंJAYSI KE NAGMATI VARNAN KA SMARAN KARA DIYA AAPNE .SUNDAR VIRAHBHIVYAKTI .AABHAR
जवाब देंहटाएंहम हिंदी चिट्ठाकार हैं
सुंदर रचना .... धीर देखो कब तक साथ देता है :):)
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