प्रेम ने कब प्रेम के बदले प्रेम चाहा है वो तो प्रेमी की ख़ुशी में ही खुश रहता है ..........उसके अधरों की एक मुस्कान के लिए अपना सब कुछ कुर्बान करने के लिए तैयार रहता है .........जब उसका प्रेम इस ऊँचाई पर पहुँच गया तो वो नहीं चाहता था कि उसके प्रेम पर कोई ऊंगली उठाये इसलिए ...................
अब आगे ..............
धीरे -धीरे रोहित ने पूजा से थोड़ी दूरी बनानी शुरू कर दी बेशक आज भी पूजा ही उसकी प्रेरणा थी मगर फिर भी वो इस तरह रहने लगा जिसमे किसी को आभास ना हो यहाँ तक कि पूजा भी ये ना सोचे बल्कि यही समझे घर गृहस्थी में व्यस्त है वो . शायद समय की यही मांग थी . कुछ प्रेम आधार नहीं चाहते सिर्फ अपने होने में ही संतुष्टि पाते हैं ..........ऐसा ही हाल रोहित के प्रेम का था . अब रोहित ने चाहे अपनी तरफ से दूरियां बढ़ा ली थीं मगर जिस चेहरे को दिन में एक बार देखे बिना उसकी सुबह नहीं होती थी अब कई - कई दिन बीत जाते थे तो ये दंश रोहित को अन्दर ही अन्दर काटने लगा. अपने बनाये मकडजाल में ही रोहित फंसने लगा . अपनी बनाई सीमा को ना तो लांघना चाहता था और ना ही इस पार रह पा रहा था ...........अब वो अन्दर ही अन्दर घुटता था , तड़पता था मगर कभी नहीं चाहता था कि उसकी प्रेरणा पर, उसके पवित्र प्रेम पर कभी कोई लांछन लगे इसलिए इस पीड़ा को सहन करते - करते कब रोहित अन्दर से खोखला होता गया ,पता ही ना चला ...........उसके जीने की वजह बन चुकी थी पूजा और उसने खुद को ही इस अग्निपरीक्षा में होम किया था ............और जब जंग अपने आप से हो तो इंसान के लिए सबसे ज्यादा मुश्किल होती है ..........संसार से लड़ा जा सकता है मगर अपने आप से लड़ना और जीतना शायद इंसान के लिए बहुत मुश्किल होता है और यही हाल रोहित का था ..........सिर्फ अन्दर से ही नहीं खोखला हो रहा था रोहित बल्कि अब उसका असर शरीर पर भी दिखने लगा था . धीरे - धीरे रोहित का शरीर थकने लगा . एक उदासी ने उसके मन में डेरा लगा लिया था बेशक आज भी पूजा रुपी प्रेरणा से वो उसी उत्साह और उमंग से लिखता था मगर फिर भी शरीर ने साथ देना छोड़ दिया था ............मन की निराशा का असर शरीर पर गहराने लगा और धीरे- धीरे उसने बिस्तर पकड़ लिया मगर किसी से कुछ नहीं कहा और ना ही महसूस होने दिया .
सभी डाक्टरों को दिखा लिया , अच्छे से अच्छा इलाज करा लिया मगर किसी भी इलाज का कोई असर ना होता रोहित पर . और फिर एक दिन पूजा जब उसे देखने आई तो उसका हाल देखकर घबरा गयी. काफी जानने की कोशिश की मगर कुछ ना जान पाई बस सिर्फ रोहित की आँखें ही कुछ बोल रही थीं जिन्हें पूजा समझ तो गयी थी मगर उसके आगे जानकर भी अनजान बनी हुई थी . वो किसी भी प्रकार का कोई बढ़ावा नहीं देना चाहती थी जिससे कोई उम्मीद रोहित के दिल में जगे ...........आखिर समझदार औरत थी .
रोहित ने पूजा से कहा , " मेरे जाने के बाद मेरी एक अमानत मैं आपको देना चाहता हूँ क्योंकि उसकी क़द्र सिर्फ आप ही कर सकती हैं "इतना सुनते ही पूजा तमककर बोली ,"रोहित क्या है ये सब, कैसी बातें कर रहे हो ? कहाँ जा रहे हो और कौन तुम्हें जाने देगा ?अरे मैं तो सोच रही थी तुम अपनी गृहस्थी में बिजी हो मगर वो तो मिसेश शर्मा से पता चला कि तुम इतने बीमार हो . मुझे तो लगता है बीमारी तो बहाना है आराम करने का . है ना !" इतना सुनते ही रोहित फीकी सी हँसी हँस दिया .
तब पूजा बोली ," क्या बात है रोहित , क्या कोई परेशानी है? तुम तो हमेशा से हंसमुख इन्सान रहे हो मगर अब ऐसा क्या हो गया जो तुम्हारी ये हालत हो गयी है . निशा बता रही थी कि तुम्हें कोई रोग भी नहीं है इसका मतलब कोई दिल का रोग है तभी ऐसा होता है ..........क्यूँ सही कह रही हूँ ना . "
ये सुनकर रोहित बोला ," पूजा जी , ऐसी कोई बात नहीं है , आपको वहम हो रहा है . सिर्फ काम का बोझ है बाकी इतना तो ज़िदगी में लगा ही रहता है आप बेकार में चिंता कर रही हैं ."
मगर पूजा कौन सी कम थी आज तो ठान कर आई थी कि रोहित को ठीक करके ही आएगी . एक दम बोली , " तुम मुझे क्या समझते हो ? तुम जो कह दोगे मान लूंगी . पहले तो छोटी- छोटी बात के लिए भी मेरे से पूछने आते थे . माना कि अब तुम सयाने हो गए हो मगर इसका मतलब ये नहीं कि मुझसे ज्यादा अक्ल आ गयी है . अब बताओ , कौन सी ऐसी बात है जिसने तुम्हारा ये हाल बना रखा है . "
मगर रोहित भी कम ना था , वो बार -बार बात को टालता रहा तब पूजा बोली ,"रोहित देखो मुझे लगता है कि तुम अपने और अपने परिवार के साथ ज्यादती कर रहे हो . आखिर तुम्हारे परिवार का क्या दोष ? उन्हें किस बात की सजा दे रहे हो ? क्या उनकी देखभाल करना तुम्हारी जिम्मेदारी नहीं ? उनके प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वाह करना क्या तुम्हारा दायित्व नहीं और ऐसे अन्दर ही अन्दर घुटकर तो तुम उनके साथ भी अन्याय कर रहे हो . देखो तो ज़रा निशा और बच्चों की तरफ-------क्या हाल हो गया है उनका . देखो तुम बेशक कुछ ना बताना चाहो , मैं तुम पर दबाव नहीं डालूंगी मगर फिर भी तुमसे ये उम्मीद जरूर करुँगी कि आज के बाद तुम्हारा ज़िन्दगी के प्रति दृष्टिकोण बदलेगा. ज़िन्दगी सिर्फ ओसारे की छाँव ही नहीं है . ना जाने किन- किन मोड़ों से इन्सान को गुजरना पड़ता है. सिर्फ अपने लिए जीना ही जीना नहीं होता , कभी- कभी दूसरों के लिए भी जीना पड़ता है . तुम्हारी जो भी समस्या है उसे अगर तुम नहीं बताना चाहते तो मत बताओ मगर उसे स्वयं पर , अपने व्यक्तित्व पर हावी मत होने दो . मनचाहा हर किसी को नहीं मिलता . बच्चा भी चाँद पकड़ने की ख्वाहिश करता है मगर क्या कभी छू सकता है उसे ? अपनी इच्छाओं को , आकांक्षाओं को इतनी उड़ान मत भरने दो कि जीवन ही बेमानी होने लगे . अगर तुम खुद को बदल सको और मेरे कहे पर ध्यान दे सकोगे तो मुझे बहुत अच्छा लगेगा. ऐसा लगेगा कि तुमने मेरा मान रखा . इतने सालों के साथ को इज्ज़त दी है . आज तक तुमसे कुछ नहीं चाहा मगर आज चाहती हूँ कि तुम मुझसे ये वादा करो कि तुम अपनी ज़िन्दगी घुट- घुट कर बर्बाद नहीं करोगे बल्कि भरपूर और खुशहाल ज़िन्दगी जियोगे अगर तुम्हारी नज़र में मेरा ज़रा भी सम्मान है तो . "
इतना कह कर पूजा तो चुप हो गयी क्योकि वो समझ तो गयी थी कि मानव मन बेहद भावुक होता है और ज़रा सी भी आशा की किरण कहीं दिखाई देने लगती है तो वहीँ आसरा बनाने लगता है , ख्वाब संजोने लगता है इसलिए सब कुछ समझते हुए भी जान कर भी अनजान बनते हुए पूजा ने बातें इस तरह कीं कि जिसके बाद रोहित के लिए कुछ कहने को ना बचे और वो यही समझे कि पूजा एक हितैषी की तरह उसे समझा रही है ना कि वो उसके बारे में , उसके दिल के बारे में सब जान गयी है , ये पता चले इसलिए पूजा ने रोहित से ऐसा वादा लिया ताकि इसे पूजा की ख्वाहिश समझे रोहित और यही ख्वाहिश उसके जीवन का संबल बन जाए आखिर उसके लिए तो पूजा की ख्वाहिश ज़िन्दगी की सबसे बड़ी ख्वाहिश थी ना . उसकी प्रेरणा ने आज उससे कुछ माँगा था और वो मना कैसे कर सकता था ---------शायद ये बात पूजा अच्छी तरह से जानती थी क्योंकि यही उम्मीद की एक किरण उसे नज़र आई थी रोहित को जीवन से जोड़ने के लिए ....................
आज बिना इज़हार के भी प्रेम अपनी बुलंदियों पर पहुँच गया था .
समाप्त
8 टिप्पणियां:
ye hi to pyar hai jo sab kurvani sah leta hai
kabhi yaha bhi aaye
www.deepti09sharma.blogspot.com
बिना इजहार के प्रेम की इतनी सकारात्मक अभिव्यक्ति.. बहुत सुन्दर.. अच्छा लगा रोहित को जीवन से फिर से जुड़ते देख कर .. ऐसी ही पूजा के इन्तजार में हम भी हैं...
पूरी कहानी कि किश्ते आज एक साथ पढ़ी और कहानी बहुत अच्छी लगी. अति संवेदनशील लोगों के साथ ऐसा होता है. मन को उम्र , सामाजिक स्थिति या फिर रिश्ते से नहीं बल्कि मन की चाहत से प्रेरणा मिलने लगती है. भले ही वो रिश्ता स्वीकार्य न हो .
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कहानी कि सभी किश्तों ने बांधे रखा। कहानी का अंत बहुत पसंद आया। रोहित और पूजा से सच्चे अर्थों में प्यार किया है एक दुसरे से।
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सात्त्विक प्रेम से हुआ अंत कहानी का ...अच्छी कहानी ...
कहानी बहुत अच्छी लगी!
यह पूरी कहानी तो एक बार ही
पोस्ट की जानी चाहिए थी!
आख़िर इसी का नाम प्यार है! ऐसा ही प्यार होता है! बहुत सुन्दर लगी ये कहानी!
बहुत ही बढ़िया लगी आपकी ये कहानी...
कहानी के विषय...प्रवाह और रोचकता ने सारी कड़ियों को एक साथ पढ़ने के लिए मजबूर किया..
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