आहों मे असर हो तो
खुद दौडे चले आते हैं
फिर बाँह पकड कर के
सीने से लगाते हैं
याद मे जब उनकी
हम नीर बहाते हैं
खुद वो भी तडपते हैं
और हमे भी तडपाते हैं
कभी अपना बनाते हैं
कभी मेरे बन जाते हैं
ये आँख मिचौलियाँ
श्याम मुझसे निभाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े आते हैं
कभी छुप छुप जाते हैं
कभी दरस दिखाते हैं
श्याम झलक को
जब नैना तरसते हैं
वो बन के पपीहा मेरे
मन मे बस जाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े चले आते हैं
कभी गोपी बन जाते हैं
कभी रास रचाते हैं
खुद भी नाचते हैं
संग मुझे भी नचाते हैं
ये प्रेम के रसरंग
श्याम प्रेम से निभाते हैं
आहों मे असर हो तो
खुद दौडे आते हैं
कभी करुणा बरसाते हैं
और प्रीत बढ़ाते हैं
ये प्रेम की पींगें श्याम
रुक रुक कर बढ़ाते हैं
आत्मदीप जलाकर के
हृदयतम भी मिटाते हैं
आहों में असर हो तो
खुद दौड़े चले आते हैं
29 टिप्पणियां:
वियोग-संजोग के प्रेम वन में सैर कराने का आभार
आहों मे असर हो तो
खुद दौडे आते हैं
ये प्रेम के रसरंग,
श्याम प्रेम से निभाते हैं ....
बहुत ही सुन्दर ।
आहों में असर.... इन तीन शब्दों में आपने प्रेम की व्याख्या कर दी.. यही तो प्रेम की आत्मा है..
sunder rachna. pyar me to milna bicharna laga rahta hai.
आहों मे असर हो तो
खुद दौडे चले आते हैं
बहुत सुन्दर......!
बेहद सुन्दर रचना... न जाने कितनी भावनाओं को एक साथ संजो कर रख दिया आपने...
सही बात है अगर श्याम को दिल से पुकारो तो पुकार सुनते हैं
बहुत अच्छी लगी कविता। बधाई।
प्रेम की पुकार में बहुत शक्ति होती है।
जिसने आहें भरी हों, वही इसके असर को समझ सकता है!!! बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
विचार::आज महिला हिंसा विरोधी दिवस है
आहों का असर हो तो खुद दौड़े चले आते हैं। यानि कि हमारी आहों में असर ही नहीं।
बहुत ही बेहतरीन अभियक्ति.... प्रेरणादायक प्रस्तुति है... बहुत खूब!
शानदार सुन्दर प्रस्तुति
प्रेम और वियोग रस का बढ़िया मिश्रण !
प्यारी दीदी ...
श्री श्यामसुन्दर के श्री चरणों में बहुत ही सुन्दर भाव प्रस्तुत किया आपने...
इस सुन्दर रचना को सम सभी के साँझा करने के लिए बहुत बहुत आभार...
!! जय जय श्री श्यामसुन्दर जी की !!
Ye Pre ras hai ye to aise hi rang lata hai
खूबसूरत , राधा सी मोहिनी तो ऐसा ही गीत गाएगी ..
कभी करुणा बरसते हैं ...में बरसते को बरसाते लिख लें ..
प्रेम भक्ति से पूर्ण सुन्दर रचना!
जय श्री कृष्णा....
तुम रूठे रहो मोहन हम तुम्हे मना लेंगे,
आहों में असर होगा तो घर बैठे बुला लेंगे।
प्रेम पगे भावों की खूबसूरत अभिव्यक्ति. आभार.
सादर
डोरोथी.
आहों मे असर हो तो
खुद दौडे चले आते हैं
सुन्दर एहसास की रचना
ते ते ते की पुनरावृत्ति कविता के शिल्प मे व्यवधान की तरह लग रही है ।
ताऊ पहेली 102 का सही जवाब :
http://chorikablog.blogspot.com/2010/11/blog-post_27.html
क्या बात है ..मधुर गीत के लिए बधाई !
prem bhav ki khubsurat abhivyakti...
सुन्दर एहसास की रचना
सुन्दर एहसास के साथ उम्दा रचना! बहुत बढ़िया लगा!
सुन्दर एहसास की रचना
bahot hi achchi prastuti hai..prem ki taasir viyog bhi hai.
bahut bahut badhai ''hamara metro''me aapkee rachna ke prakashit hone par .
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