तोसे नैना लड गये जो इक बार
अब खुद को ढूँढे इत उत बावरी बयार
श्याम प्रेम मे री्झ गये दो नैना मतवारदरस प्यास बुझत नाही चाहे देखे आठों याम
श्याम प्रेम रस माधुरी भीजत है जो इक बार
श्याममय हो जाय है सुध बुध सारी बिसार
मेरी अज्ञान मटकी फ़ोड दयी जा दिन से श्याम
अब श्याम बिना ना दीखत है दिन रात
मन माखन चुराय लिया जा दिना सों श्याम
ह्रदय सिंघासन बैठ गये वा दिना सों श्याम
अपनी सुध बिसार के हो गयी श्याम की डोर
जित ले जायेंगे उडाय के संग चलेगी डोर
नैनन की धोवन मे जब बहते श्याम हो अधीर
अंजुलि भर पी जाऊँ मै वो नैनन को नीर
अंजुलि भर पी जाऊँ मै वो नैनन को नीर
दोस्तों
इस रसमयी धारा के प्रवाह को आगे बढाने के लिये मै
एक श्रंखला शुरु करने वाली हूँ जिसमे आनन्द की बयार
बह रही होगी और उम्मीद करती हूँ आप सब का प्यार उसे
भी इसी तरह मिलता रहेगा………ये शुभ कार्य मै गुरु
पूर्णिमा से शुरु करने वाली हूँ।
24 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर रचना ...आपकी उस आनंद से भरी हुई श्रंखला का हमें इंतजार रहेगा
shubhkamnayen... yah dhaara anwarat bahe
भक्ति रस में रची-बसी सुन्दर रचना पढ़वाने् के लिे आपका आभार!
--
नई शृंखला की प्रतीक्षा रहेगी!
रूमानी रस से सराबोर करती कविता। बधाई।
------
TOP HINDI BLOGS !
सचमुच बहुत सुन्दर आनंदित कर देने वाली रचना अभिव्यक्ति ...आभार
सुन्दर कविता... अदभुद लिख रही हैं आप इनदिनों... नई शृंखला की प्रतीक्षा रहेगी!
मेरी अज्ञान मटकी फ़ोड दयी जा दिन से श्याम
अब श्याम बिना ना दीखत है दिन रात
वाह बहुत सुन्दर ..भक्ति और प्रेम रस में डूबी रचना मनमोहक लगी ... नयी श्रृंखला का इंतज़ार रहेगा
बहुत ही बढ़िया रचना
बढिया है। आगामी प्रयास के लिए शुभकामनाएं।
bahut khub....shabdo ki sundar abhivyakti.........
Intezaar rahega!
भावमयी रचना.
मेरी अज्ञान मटकी फ़ोड दयी जा दिन से श्याम
अब श्याम बिना ना दीखत है दिन रात...
फेसबुक के बाद यहाँ भी इस रसधारा में भीगना बहुत भाया!
सुंदर अभिवयक्ति....
रसभरी,
शब्दगगरी।
सुन्दर रचना पढने को मिली ||
बहुत-बहुत आभार ||
श्याम के प्रेम रस में सराबोर रचना...
'सूरदास ज्यों कारी कामरि चढ़े न दूजो रंग'
सर्वग्य प्रेमी राज ... श्री कृष्ण के प्रेम में क्या क्या नहीं रचना जा सकता ... लाजवाब लिखा है ...
shyam rang mein rang diya
kam aapine badhiya kiya
guru purnima se aapka swapna sakar hojaye
sari duniya shyam may ho jay'
hardik badhay
achchi premmai rachna aage ki shrankhla ka intjaar hai.
खूबसूरत कविता वंदना जी
बेहतरीन प्रस्तुति ।
Beautiful creation !
Best wishes for the Anand-shrankhla'
कान्हा-कान्हा हो गए हम सब....
एक टिप्पणी भेजें