समर्पण
प्रभु
ना पुकार में दम है
ना मेरी चाहत प्रबल है
पूजन अर्चन वंदन
सबको त्यागा है
क्या करूँ
कोई राह नहीं दिखती
तुम भी नहीं मिलते
तुम तक पुकार भी नहीं पहुँचती
फिर और किससे उम्मीद करूँ
जब तुम ही नहीं मेरे
फिर संसार तो बेगाना है
इसे कैसे अपना मानूँ
कैसे इससे उम्मीद करूँ
तुझे भी नहीं चाह पाती ना
देख चाह होती
तो ह्रदय फट जाता
तेरे लिए विकल हो जाता
मगर चाहत मेरी
कमजोर रही
दिन रात अब मैं तड़पती हूँ
श्याम तुझ बिन भटकती हूँ
अब कोई अर्ज नहीं करती हूँ
पापी हूँ जान गयी हूँ
तेरे धाम से तभी तो वंचित हूँ
मेरी व्यथा ना कोई जाना
श्याम तू भी ना मन पहचाना
हम तेरी मायाजाल में
फँसे नराधम
बता कहाँ जाएँ
किसे पुकारें
कौन सुने
अब पीर हमारी
श्याम मैं ना
बन सकी तेरी राधा प्यारी
विरह का व्याकरण
मैं ना जानी
मीरा सा गायन वादन
नृत्य कर तुझे रिझाना
मुझे नहीं आया
शबरी सा निर्मल प्रेम
ना मैंने जाना
शिकवा शिकायत
करना ना आया
ना तू ना संसार
मन को भाया
तभी तो ना तू आया
तेरे फैलाये जाल के
हम फडफडाते पंछी
तड़पते हैं
मगर जाल ना काट पाते हैं
जब तक ना
तेरी कृपा पाते हैं
कहीं कोई ठौर दिखे
कहीं कोई आस मिले
उम्मीद की कोई किरण तो दिखे
मगर तुम तो
छुपे फिरते हो
मुझको ना कहीं दीखते हो
हे नाथ
अधूरी हूँ
अधूरी ही रहूँगी
जान गयी हूँ
पहचान गयी हूँ
तुम्हारे लायक ना बनी हूँ
शिकवा नहीं
शिकायत नहीं
तड़प नहीं
चाहत नहीं
अब मेरे पास श्याम कुछ भी नहीं
तुम्हारे चक्रव्यूह में फँस गयी हूँ
तुम्हारे बिछाए जाल में उलझ गयी हूँ
तेरी रज़ा में अपनी रज़ा मिला दी जबसे
श्याम मेरी वाणी ही मूक हो गयी तबसे
बता अब कैसे पुकारूँ
किसे पुकारूँ
कैसे तुझसे शिकायत करूँ श्याम
अब तुम जानो तुम्हारा काम
जी रही हूँ बस लेकर तेरा नाम
अब अपना बनाओ या ठुकराओ
फिर संसार जाल में उलझाओ
या अपने चरणों में लगाओ
चित को मेरे चुराओ या
चित मेरा भटकाओ
इसे अपने पांसों में उलझाओ
या जीत की बाजी दोहराओ
गंदगी में डु्बोओ या बंदगी की राह चलाओ
श्याम अब ये तुम ही जानो
डुबाओ या उबारो
मेरी प्रश्नोत्तरी सुलझाओ
या स्वयं उत्तर बन
मेरे जीवन में उतर आओ
जीत करो या हार
सब तुम्हारा तुमको ही
अर्पण करती हूँ
श्याम सर्वस्व समर्पण करती हूँ
अब तुम्हारी बारी है ......श्याम
मैं तो ये ज़िन्दगी तेरे नाम पर वारी है
10 टिप्पणियां:
तुम क्या देते हो - इस पर मेरे समर्पण का आकलन है ,
तो प्रभु सोच समझकर पांव उठाना
bhavapoorn sundar rachana ...
तुम भी विश्वास दिलाओ समर्पण का ..... सुंदर रचना
sundar evm sarahniy prastuti
sundar abhivyakti
wow
त्याग से ही साधना की सफलता है।
bhaktimay rachana....sundar
कभी समर्पण, कभी जीवन अनमन।
Ball is in your court...prabhu...
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