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बुधवार, 23 मार्च 2016

साँवरे रसिया रे



साँवरे रसिया रे 
होली के बहाने आ जा 
साँवरे रसिया रे 
मोहे अपने रंग में रंग जा 

आज मोहे रंग भाये न दूजा 
श्याम रंग में ही रंग जा 
साँवरे रसिया रे 
एक बार गले लग जा 
साँवरे रसिया रे 
प्रीत को अमर कर जा 

सखिया सभी रंगी खड़ी हैं 
मेरी चूनर सूखी पड़ी है 
तू ही आकर भिगो जा 
साँवरे रसिया रे 
फाग का राग बन जा 
साँवरे रसिया रे 
इस होली मेरी गली फिर जा

लालम लाल हो जाउंगी 
तेरे ही रंग में रंग जाऊंगी 
जो तू फाग मुझ संग मना जा 
साँवरे रसिया रे 
होली के बहाने आ जा 
साँवरे रसिया रे 
मेरे अंग अंग में बस जा 



4 टिप्‍पणियां:

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

होली की हार्दिक शुभकामनाये।

डॉ. दिलबागसिंह विर्क ने कहा…

आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 24-03-2016 को चर्चा मंच पर चर्चा - 2291 में दिया जाएगा
धन्यवाद

Onkar ने कहा…

सुन्दर रचना

Vaanbhatt ने कहा…

सार्थक प्रस्तुति...