कैसे तुम्हारा वंदन करूँ
कैसे तुम्हारा अभिनन्दन करूँ
किस सूरज की लालिमा से
माथे पर तुम्हारे तिलक करूँ
किस चन्द्रमा की चांदनी से
मन्दिर तेरा आप्लावित करूँ
किन तारों की माला गुन्थूं
किस इन्द्रधनुषी रंग से
श्याम तेरा श्रृंगार करूँ
किस ओंकार के नाद से
ब्रह्माण्ड की गुंजार करूँ
श्याम कैसे तुम्हारा वंदन करूँ मैं
कैसे तुम्हें नमन करूँ
कैसे तुम्हारा अभिनन्दन करूँ
किस सूरज की लालिमा से
माथे पर तुम्हारे तिलक करूँ
किस चन्द्रमा की चांदनी से
मन्दिर तेरा आप्लावित करूँ
किन तारों की माला गुन्थूं
किस इन्द्रधनुषी रंग से
श्याम तेरा श्रृंगार करूँ
किस ओंकार के नाद से
ब्रह्माण्ड की गुंजार करूँ
श्याम कैसे तुम्हारा वंदन करूँ मैं
कैसे तुम्हें नमन करूँ
16 टिप्पणियां:
बेहतरीन शब्दों के साथ ...बहुत सुंदर रचना....
बहुत अच्छी लगी आपकी यह रचना.....
आस्था से भरपूर स्वर इस कविता में मुखरित हुए हैं ।
सुन्दर भाव!! नमन!
श्याम के चरणों में सुंदर प्रार्थना ........
बहुत सुन्दर!
भक्ति-रस में सराबोर हो गये!
bahut sundar!!
सुंदर अभिव्यक्ति !!
आपके ज़ख्म , आपकी ज़िन्दगी से रूबरू हुआ और अंतत आपके प्रयास को देख कहने का जी हो आया है.अनुभव की प्रचुरता है आपके पास.शब्द भी जीवन से उठकर आते हैं.और लय यथाप्रवाह में है.तेवर में आसक्ति है तो अनुरक्ति भी.विद्रोह से आप बेचैन नहीं होती.सामना करना चाहती हैं.ये अच्छी बात है.
यदि कविता में छंद की बंदिश को अलग कर दें तो और विस्तार मिल जाए आपकी भावनाओं और विचारों को.ये मेरी अदना सी राय है.ग़ालिब उपमहाद्वीप का सबसे बड़ा शायर है.उसने भी कहा थे की ब्यान के लिए वुसअत चाहिए.
vandanaji ...shyam ke shringhar ka vernan ker aapne shringhar bhiu ker diya aur ye bhi jatla diya ki shyam kaa kitna bhi sringhar kero kum hai ...ache sabdo ke sanyojan dwara achi kavita ke liye badhai ...
khoobsurat prarthana....
सहज ही दुविधा यह ! बढियां कविता !
बहुत सुन्दर पुकार है । बधाई
इस रचना को मेरा नमन...
मीत
सुंदर
koi meri aankhon se pooche to samjhe ki tum mere kya ho..
sach bahut khoob!
aastha ka safer aapko mubarak ho
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प्रणम्य वंदन।
नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ।
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पुरूषों के श्रेष्ठता के जींस-शंकाएं और जवाब।
साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन के पुरस्कार घोषित।
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