श्याम बिन ज़िन्दगी गुजरती नहीं है
राधे नाम बिन ये सँवरती नहीं है
श्याम बिन .....................................
१) पीले पड़ गए हैं ये शाखों के पत्ते -२-
उजड़ गया है ये मधुबन सारा -२-
गोविन्द बिन कुछ भी सुहाता नहीं है
श्याम बिन ..........................................
२) पनघट भी सूने गलियाँ भी सूनी -२-
वो अमुआ के झूले वो मौसम भी भूले -२-
तेरे बिन सांवरिया हम मरना भी भूले
श्याम बिन ............................................
३) वो वंशी की ताने वो यमुना की बाहें -२-
वो कदम्ब की छाहें वो टेढ़ी निगाहें -२-
हर इक याद तेरी भुलाती नहीं है
श्याम बिन .............................................
11 टिप्पणियां:
आपकी कृष्ण भक्तिरस में सराबोर भावना को शत-शत नमन!
अच्छा भजन है।
२) पनघट भी सूने गलियाँ भी सूनी -२-
वो अमुआ के झूले वो मौसम भी भूले -२-
तेरे बिन सांवरिया हम मरना भी भूले
श्याम बिन ..............................
Mai aajhi soch rahi thi,ki,tumne kuchh dinonse likha nahi aur khola to ye rachana mil gayi!Wah!Wah!Wah!
भक्ति से परिपूर्ण रचना !!
नही गुजरती श्याम बिन, इस जीवन की शाम।
यही अर्चना-वन्दना, रटना राधे-श्याम!!
बहुत सुन्दर भक्ति रचना।
बहुत सुन्दर गीत ....आनंद आ गया ...लगा सारी गोपियाँ मिल कर गा रही हीं :)
बहुत ही सुन्दर भजन ।
ati sundar geet
भक्ति भाव से सराबोर है यह रचना!... कृष्ण के बगैर सब सूना सूना ही है!...अति सुंदर भाव, बधाई!
keya baat hai
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