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शुक्रवार, 1 अक्तूबर 2010

पिया रूठ गए

सखी री 
पिया रूठ गए 
मो से सांवरिया
रूठ गए
मोहे अकेला
छोड़ गए
विरह अगन का
दावानल जला गए
अब का से करूँ
शिकायत 
का से कहूँ मैं
जिया की बात 
कोऊ ना समझे 
पीर 
सखी री
प्रेम के सुलगते 
सागर की
हर उठती -गिरती 
लहरें 
प्रेम अगन 
बढाती हैं
कैसे बंधे 
अब धीर
सखी री
वो यशोदा 
का लाला 
धोखा दे गया 
भरे जोवन में
योगन बनाय गया
सखी का से कहूं
अब जिया की पीर
चैन मेरा 
ले गया
भरे बाज़ार 
धोखा दे गया
अब कैसे धरूँ 
मैं धीर
सखी री
पिया रूठ गए
मो से सांवरिया 
रूठ गए 

17 टिप्‍पणियां:

समयचक्र ने कहा…

बढ़िया .प्रस्तुति..... आभार.
अब हिंदी ब्लागजगत भी हैकरों की जद में .... निदान सुझाए.....

Sunil Kumar ने कहा…

sundar rachna badhai

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

क्यों रूठ गए ?
पश्चाताप का स्वर अच्छा उभरा है रचना में ...

दिगम्बर नासवा ने कहा…

गोपी की पीड को बहुत सुंदरता से शब्दों में बाँधा है ....

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

विरह अगन का
दावानल जला गए
अब का से करूँ
शिकायत
का से कहूँ मैं
जिया की बात
कोऊ ना समझे
पीर
सखी री...
-- --

बहुत सुन्दर रचना है!
वैसे भी मन की बात तो केवल
सखी से ही कही जा सकती है!

आशीष मिश्रा ने कहा…

बहोत ही अच्छी प्रस्तुति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

भावुक पंक्तियाँ।

Kailash Sharma ने कहा…

bahut sudar prastuti...

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

again very good!!

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण रचना है .विरह की पीड़ा को आपने अभिव्यक्ति दी है.

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…

बहुत ही भावपूर्ण रचना ....
मजा आ गया पढ़कर
प्रस्तुति के लिए बधाई

ASHOK BAJAJ ने कहा…

बहुत बढ़िया .
कृपया इसे भी पढ़े -http://www.ashokbajaj.com/2010/10/blog-post_03.html

rashmi ravija ने कहा…

जिया की पीर को बड़े मार्मिक शब्द दे दिए हैं...गोपियों की वेदना को अभिव्यक्त करती कविता

Satish Saxena ने कहा…

कमाल है ...बहुत बढ़िया रचना !
शुभकामनायें !!

RAJWANT RAJ ने कहा…

ati uttam .

बंटी "द मास्टर स्ट्रोक" ने कहा…

ताऊ पहेली ९५ का जवाब -- आप भी जानिए
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_9974.html

भारत प्रश्न मंच कि पहेली का जवाब
http://chorikablog.blogspot.com/2010/10/blog-post_8440.html

Anupriya ने कहा…

so sweet...