कान्हा तुम्हारी याद में कलियाँ पुकारती -२-
काँटों की शैया पर कैसे रातें गुजारतीं
कान्हा तुम्हारी याद में.........................
कान्हा तुम्हारी याद में राधा पुकारती -२-
रो - रो के प्रेम दीवानी जीवन गुजारती
कान्हा तुम्हारी याद में....................
कान्हा तुम्हारी याद में मीरा पुकारती-२-
पग घुँघरू बाँध दीवानी तुमको रिझाती
कान्हा तुम्हारी याद में........................
कान्हा तुम्हारी याद में शबरी पुकारती-२-
राम आयेंगे इस आस में रस्ता बुहारती
कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में गोपियाँ पुकारती -२-
परसों आऊँगा की बाट में रस्ता निहारतीं
कान्हा तुम्हारी याद में .........................
कान्हा तुम्हारी याद में भक्त मण्डली पुकारती -२-
गा - गा के गीत तुम्हारे जीवन गुजारती
कान्हा तुम्हारी याद में ........................
कान्हा तुम्हारी याद में दासी पुकारती -२-
नयनों की प्यास को अब कैसे संभालती
कान्हा तुम्हारी याद में ..........................
33 टिप्पणियां:
अध्यात्मिक और प्रेम रस में दूब कर लिखी गई कविता... बहुत उम्दा..
वाह...वाह!
क्या बात है!
आपने तो इस सुन्दर रचना से हमें भक्ति रस में स्नान करा दिया!
बहुत सुन्दर भक्ति रंग बिखेरे हैं। बधाई।
आपकी भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आभार
कान्हा तुम्हारी याद में दासी पुकारती
नयनों की प्यास को अब कैसे संभालती
वंदनाजी, आपके भक्तिभाव को नमन है.
आपने सूर की याद दिलादी
'अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी
देखन चाहत कमाल नयन को
निशदिन रहत उदासी
अँखियाँ हरि दर्शन की प्यासी'
bahut khoob
प्रेम और भक्ति पगी कविता।
ek bahut hi pyaara geet
.प्रेम और भक्ति से सजी रचना, सुन्दर भावाव्यक्ति, बधाई ........
बड़ा प्यारा लोकगीत रच दिया आपने ....मुझे लगता है ढोलक की थाप में, इसे गाते महिला स्वर , समां बाँध देंगे !
शुभकामनायें !!
भक्तिभाव से परिपूर्ण रचना...बहुत बेहतरीन.
radhe radhe....bahut pyara bhajan...
भक्ति रस का एक उत्कृष्ट नमुना।
Bahut hee pyara geet!
अति सुंदर कविता, धन्यवाद।
भक्ति रस में डूबी अच्छी रचना
डूब कर पढ़ा...झूम के गाया.......मन मतंग हो गया|
सारे रंगों पर भारी,,,कन्हैया का रंग हो गया
कान्हा के भक्तिऔर प्रेम रस की गागर छलका दी !
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
वहा वहा क्या कहे आपके हर शब्द के बारे में जितनी आपकी तारीफ की जाये उतनी कम होगी
आप मेरे ब्लॉग पे पधारे इस के लिए बहुत बहुत धन्यवाद अपने अपना कीमती वक़्त मेरे लिए निकला इस के लिए आपको बहुत बहुत धन्वाद देना चाहुगा में आपको
बस शिकायत है तो १ की आप अभी तक मेरे ब्लॉग में सम्लित नहीं हुए और नहीं आपका मुझे सहयोग प्राप्त हुआ है जिसका मैं हक दर था
अब मैं आशा करता हु की आगे मुझे आप शिकायत का मोका नहीं देगे
आपका मित्र दिनेश पारीक
बेहतरीन भक्तिभाव से परिपूर्ण रचना... बधाई।
संवेदनाओं को विस्तार देेता है आपका शब्द संसार। अच्छा लिखा है आपने।
मैने अपने ब्लाग पर एक कविता लिखी है-शब्दों की सत्ता। समय हो तो पढ़ें और प्रतिक्रिया भी दें।
http://www.ashokvichar.blogspot.com/
बहुत सुंदर प्रेम रस से ओतप्रोत गीत ।
बहुत अच्छा भजन
आपकी भक्तिभावना से परिपूर्ण अभिव्यक्ति अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
आपकी भक्तिभावना से परिपूर्ण अभिव्यक्ति अच्छी लगी।मेरे पोस्ट पर आपका स्वागत है।
Beautiful and spiritual creation !
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बहुत प्यारभरी भक्तिमयी गीत .....
भक्तिपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आभार
बहुत ख़ूबसूरत और लाजवाब रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! बहुत दिनों के बाद आपके ब्लॉग पर आकर सुन्दर कविता पढ़ने को मिला जिसके लिए धन्यवाद! !
सुन्दर भजन .
बहुत सुन्दर भक्ति रंग पगी रचना!!
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निरामिष: अहिंसा का शुभारंभ आहार से, अहिंसक आहार शाकाहार से
pahli baar aapke blog par aaya. ab soochta hoon ab tak kahan tha main. bahut miss kiya, sundar srajan ke liye badhai. ab lagta hai lagataar aana padega.badhai.
MAM AAJ KAL NOKRI TO AASANI SE MILTI NAHI PHIR BHAGWAN JI KESE JALDI MIL JAYENGE INTJAAR TO KARNA HI PADTA HAI NA . . . . . . . . . . . . . . . KAFI ACHI RACHNA, PADHKAR MAN KO ACHA LAGA. . . . . DHANYWAAD . . . . . . JAI HIND JAI BHARAT
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