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शुक्रवार, 27 मई 2011

अब कैसे कहूं याद आ रही है

वो जो हर पल
नैनों में समाये रहते हैं
जहाँ पलकें भी
स्थिर हो  जाती हैं
दृष्टि निर्मिमेष
हो जाती है
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है

वो जो हर पल
धड़कन में
समाये रहते हैं
मुरली मधुर बजाते हैं
मुझे हरदम
नाच नाचते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है

वो जो हर पल
सांसों के मनकों में
समाये रहते हैं
हर आती जाती
सांस संग धड़कते हैं
सांसों की आवाजाही में
मोती बन चमकते हैं
वहाँ कैसे कहूँ
याद आ रही है

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
 हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ
जहाँ जिस्मों से परे
आत्मिक मिलन
हो गया हो
वहाँ कैसे कहूं
याद आ रही है
कोई तो बता दे
अब कैसे कहूं
याद आ रही है

33 टिप्‍पणियां:

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

ह्रदय के विवश भावों का सटीक चित्रण....बहुत सुंदर।

सुरेन्द्र सिंह " झंझट " ने कहा…

तुम ही अन्दर तुम ही बाहर ..कब अलग हुए जो याद करूँ ?



अलौकिक, शाश्वत एवं अमर प्रेम की सुन्दर रचना ....

kshama ने कहा…

Sach hee to kaha aapne....jo har waqt saath ho,jise kabhee bisraya hee nahee,use yaad kya,aur kaise karna?

रश्मि प्रभा... ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ
जहाँ जिस्मों से परे
आत्मिक मिलन
हो गया हो
वहाँ कैसे कहूं
याद आ रही है
कोई तो बता दे
अब कैसे कहूं
याद आ रही है
ek ek ehsaas saansen le rahi hain

वाणी गीत ने कहा…

जिसे भुलाया नहीं कभी , कैसे कहें की याद किया ...
भावपूर्ण अभिव्यक्ति !

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

आपकी कविता में नदियों का प्रवाह होता है... लहराती हुई बढती हैं... सुन्दर कविता...

Er. सत्यम शिवम ने कहा…

आपकी उम्दा प्रस्तुति कल शनिवार (28.05.2011) को "चर्चा मंच" पर प्रस्तुत की गयी है।आप आये और आकर अपने विचारों से हमे अवगत कराये......"ॐ साई राम" at http://charchamanch.blogspot.com/
चर्चाकार:Er. सत्यम शिवम (शनिवासरीय चर्चा)

सुज्ञ ने कहा…

यही तो सच है, सार्थक अर्थगम्भीर रचना!!

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ
जहाँ जिस्मों से परे
आत्मिक मिलन
हो गया हो

बहुत भावमयी प्रस्तुति ... जहाँ कुछ अलग ही न हो तो याद किसे किया जाये .. जहाँ आत्मा परमात्मा का मिलन हो तो कुछ शेष नहीं रहता

राज भाटिय़ा ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
बहुत खुब सुरत

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

स्मृतियों का भँवर है, जितना प्रयास करते हैं, डूब जाते हैं।

Bharat Bhushan ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
आध्यात्मिक भावभूमि पर मानवीय भावों से सजी रचना बहुत अच्छी लगी.

hem pandey ने कहा…

याद की सुन्दर परिभाषा | साधुवाद !

आनंद ने कहा…

वह वंदना जी बड़े दिनों बाद बरसाने कि दुलारी के दर्शन हुए आपकी कविता में ...राधा देखूं या मीरा मैं....याकि फिर दोनों ....निपट पीर होती तो बेहिचक मीरा ही कहता मैं ...मगर यहाँ तो अधिकार भी है ना..मिलन भी है ना और आपके इस याद करने के अनोखे ढंग ने तो जान ही निकाल दिया !

Vivek Jain ने कहा…

बहुत सुंदर रचना
साभार- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Vaanbhatt ने कहा…

आपने याद दिलाया तो मुझे याद आया...

M VERMA ने कहा…

आत्मिक मिलन के बाद यादों का क्या काम

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर और सार्थक रचना!

Unknown ने कहा…

शाश्वत एवं अमर प्रेम की सुन्दर रचना, भावपूर्ण अभिव्यक्ति

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

वंदना जी, आपका जवाब नहीं। मन को छू गयी यह रचना। बधाई स्‍वीकारें।

---------
हंसते रहो भाई, हंसाने वाला आ गया।
अब क्‍या दोगे प्‍यार की परिभाषा?

Maheshwari kaneri ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी……
ह्रदय के विवश भावों को बहुत सुन्दरता से उभारा है ……

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत सुन्दर भावपूर्ण रचना..आभार

बाबुषा ने कहा…

साँसों की माला में सुमरू मैं पी का नाम !

Sadhana Vaid ने कहा…

जब मन और आत्मा एकरूप एकाकार हो जाते हैं तो विछोह की वेदना स्वयमेव समाप्त हो जाती है ! ऐसे में भूलने या याद करने की स्थिति ही शेष नहीं रह जाती ! आध्यात्मिक रंग में रंगी बहुत ही गहन एवं भावपूर्ण रचना ! अति सुन्दर !

बेनामी ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी

बिल्‍कुल सच ... ।

रेखा श्रीवास्तव ने कहा…

याद तो उसे करूँ
जिसे भुलाया हो कभी
याद तो उसे करूँ
जिसे बिसराया हो कभी
जो स्वयं से जुदा
हुआ हो कभी
याद तो उसे करूँ
जो अलग वजूद
बना हो कभी
जो मुझमे समाया रहता है
जिसमे मैं समायी रहती हूँ


radha tum aur meera tum .
utani hi gaharai se shabdon men dhala hai. isake liye bahut bahut abhar.

रेखा ने कहा…

बहुत सुन्दर कविता ...

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' ने कहा…

बहुत अच्छी रचना है वंदना जी
आपकी कविता पढ़कर...
अपना एक शेर याद आ रहा है-
फिर भी उसकी तलाश है मुझको
वो जो मुझमें छिपा सा रहता है

दिगम्बर नासवा ने कहा…

सब और तुम्ही तुम हो ....लाजवाब रचना ..

BrijmohanShrivastava ने कहा…

बहुत बढिया बात याद तो उसे किया जाय जिसे भुलाया हो। ’’उनको हमने न भुलाया न कभी याद किया ""

Vivek Jain ने कहा…

कोई तो बता दे
अब कैसे कहूं
याद आ रही है

बहुत सुंदर रचना,
- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

ZEAL ने कहा…

Great creation Vandana ji ! Full of love.

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर और लाजवाब रचना लिखा है आपने! बेहद पसंद आया!