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सोमवार, 20 जून 2011

कभी कभी मिल जाता है उम्मीद से ज्यादा

ज़रा गौर फरमाइए इधर भी.........कभी कभी मिल जाता है उम्मीद से ज्यादा ...........पता नहीं कैसे हुआ मगर हो गया .........अगर जानना है तो यहाँ देखिये ...........इस लिंक पर 


 दोस्तों
   "क्या संन्यासी या योग गुरु से छिन जाते हैं मौलिक अधिकार?"
ये लिंक है इस आलेख का
http://www.mediadarbar.com/%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%A8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%B8%E0%A5%80-%E0%A4%AF%E0%A4%BE-%E0%A4%AF%E0%A5%8B%E0%A4%97-%E0%A4%97%E0%A5%81%E0%A4%B0%E0%A5%81/


 इस आलेख को मिला है प्रथम पुरस्कार मिडिया दरबार की ओर से .........हर हफ्ते आयोजित होने वाली प्रतियोगिता में ..........जानिए वो विचार जो मेरे द्वारा प्रस्तुत किये गए .........मुझे नहीं पता कैसे मिल गया .........मुझे तो लगा ही नहीं था कि ऐसा खास लिखा है कि प्रथम पुरस्कार मिलेगा ........अब आप सब खुद पढ़ कर देखिये और बताइए .

22 टिप्‍पणियां:

संगीता पुरी ने कहा…

लिंक में जाकर देख रही हूं .. बधाई स्‍वीकार करें !!

Arunesh c dave ने कहा…

आपको बहुत सी शुभकामनाएं निश्चित ही लेख प्रसंशनीय है

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

दोनों लिंक्स पर हो कर आई हूँ ..लेख भी पढ़ लिया है ... बहुत बहुत बधाई ... लेख तर्कों पर आधारित है ..सटीक और बढ़िया ...

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ! दोनों लिंक्स पर हो कर आई हूँ ..लेख भी पढ़ लिया है ...

rashmi ravija ने कहा…

अरे वाह..बहुत बहुत बधाई...लेख भी बहुत सुन्दर लिखा है...एकदम प्रथम पुरस्कार लायक...हमारी मिठाई किधर है..:)

मनोज कुमार ने कहा…

आपने कमाल का लिखा है। ऐतिहासिक-पौराणिक संदर्भों का हवाला देकर आपने अपने तर्कों को अधिक बल प्रदान किया है और सारी बातें,और अपने मौलिक विचार बहुत ही सलीके से रखा है। आपको तो मिलना ही चाहिए था प्रथम पुरस्कार!

www.navincchaturvedi.blogspot.com ने कहा…

बहुत बहुत बधाई वंदना जी| खुशी का यह मौका हमारे साथ शेयर करने के लिए बहुत बहुत आभार| ऐसी तमाम खुशियाँ आप के हिस्से में आती रहें, यही दुआ है|

shikha varshney ने कहा…

लेख पढ़ कर आ रही हूँ .बहुत अच्छा लिखा है.पुरस्कार तो मिलना ही था.
बहुत बहुत बधाई.ऐसे ही पुरस्कार लेती रहिये और हमारी मिठाई भेजती रहिये :)

Udan Tashtari ने कहा…

एक सार्थक अलेख...विचारणीय...

और आपको बधाई.

ZEAL ने कहा…

प्रशंसनीय आलेख , निसंदेह प्रथम पुरस्कार के काबिल ।
बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं।

मेरे भाव ने कहा…

शुभकामनाएं वन्दना जी .. आलेख अच्छा है...

Rakesh Singh ने कहा…

वंदना जी,
आप एक बेहतरीन कवियित्री हैं, ये तो मैं बहुत दिनों से जानता हूँ,पर आप अपने विचार भी इतने सधे ढंग से लिख सकती हैं,ये पहली बार देख रहा हूँ.बहुत-बहुत बधाई.

SAJAN.AAWARA ने कहा…

10 NUMBRI KI OR SE APKO BAHUT BADHAI.
JAI HIND JAI BHARAT

kavita verma ने कहा…

bahut bahut badhai vandanaji...

Vaanbhatt ने कहा…

इतनी सी बात ना समझा ज़माना...आदमी जो चलता रहे तो मिल जाये हर खज़ाना...इज्ज़त, नाम, शोहरत और पैसा सिर्फ चलने का नाम है...इसी तरह चलती रहिये...शुभकामनाएं...

Sushil Bakliwal ने कहा…

अनलकीली तीन-तीन बार के प्रयास के बावजूद भी दोनों में से एक भी लिंक नहीं खुल रही । बहरहाल बधाईयां तो स्वीकार कर ही लें...

Chaitanyaa Sharma ने कहा…

यह तो अच्छी खबर है.... बधाई आपको...

Vivek Jain ने कहा…

प्रसंशनीय लेख

बधाई- विवेक जैन vivj2000.blogspot.com

Sapna Nigam ( mitanigoth.blogspot.com ) ने कहा…

बहुत बहुत शुभकामनायें

योगेन्द्र मौदगिल ने कहा…

sateek, saarthak evm samyik aalekh...badhai swikaren...

mediadarbaar me error aa raha tippani shayad prakashit nahi ho saki hai.....

Urmi ने कहा…

बहुत सुन्दर, सार्थक और विचारणीय आलेख! आपको हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें!