शब्दहीन, भावहीन ,स्पंदनहीन ह्रदय को
और दिमाग को कुंद औ मूढ बना दिया
सांवरे तूने ये क्या किया , ये क्या किया
ना रसधारा बहती है
ना नामोच्चार होता है
बस ये विग्रह निर्लेप सा रहता है
अब कौन दिशा है जाना
सबको भ्रमित बना दिया
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
ना ह्रदय द्रवित होता है
ना अश्रु नैनो से ढलते हैं
बस निर्विकारता छा जाती है
निर्जीव इस विग्रह पर
ये कैसा कुहासा छा दिया
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
ना मै अब मै रही
ना तू ही मुझे मिला
एक तत्व भी अज्ञात रहा
ये कैसा द्वंद समा गया
जो मुझे प्रश्नसूचक बना दिया
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
ना प्रेम का छोर मिला
ना कोई उस ओर मिला
बस प्रेमाभक्ति का ह्रास रहा
ये कैसा रोग लगा दिया
भरा, पूजा का थाल लौटा दिया
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
अब ना दिशा का बोध रहा
ना अपना ही होश रहा
जब से तुझमे खुद को मिला दिया
तेरी चाह को परवान चढा दिया
और खुद को भी मिटा दिया
फिर भी ना तेरा दरस हुआ
और चौखट से जो अपनी
तूने खाली हाथ लौटा दिया
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
तेरे हाथ बिके बेमोल
अब किधर जायेंगे
जो तूने हमे रुसवा किया
तेरे कूचे मे ही ना मर जायेंगे
मगर ना कहीं कोई ठौर पायेंगे
सांवरे तूने ये क्या किया, ये क्या किया
8 टिप्पणियां:
सांवरे के रंग में डूबी सुंदर प्रस्तुति
इतनी पुकार पर भी न पसीजो तो कहाँ जाएँ - तू ही बता
बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
एक अजब प्रभाव डाल दिया है तूने..
मन पर चढ़े आध्यात्मिक रंग में रगी-पगी बेहतरीन रचना।
सांवरे तुने ये क्या किया,ये क्या किया
'मनसा वाचा कर्मणा' को ही भुला दिया
खैर, जैसी तेरी मर्जी.
तेरी रजा में ही मेरी रजा.
आभार,वंदनाजी.
मेरे श्याम .
"तूने क्या किया ये बता तो सही
मेरा चैन गया मेरी नींद गयी"
लगभग अर्ध शतक पूर्व एक भजनीक संत से यह भजन सुना था ! सुनकर रो पड़ा था !वर्षों गुनगुनाता रहा वह अधूरा गीत ही!
आज पुनः उसी प्रेमाभक्ति भाव में ओतप्रोत आपकी यह रचना सन्मुख आई !इससे कुछ भाव चुरा कर पुनः गाने को जी करता है ! इस अस्वस्थ तन से ये हो पायेगा ? यह तो "वह" ही जाने ! -
सांवरे के रंग में डूबकर मनुहार करती बहुत सुन्दर रचना
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