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शुक्रवार, 11 जनवरी 2013
हाय! कैसी है ये प्रेम के बाजूबंद की अठखेलियाँ…………
धडकनों के मौन आकाश पर
गुंजित तुम्हारा प्रेमराग
स्पन्दित कर नव चेतना भर गया
और शब्द झंकृत हो गये
भाव निर्झर बह गये
हाय! कैसी है ये प्रेम के बाजूबंद की अठखेलियाँ……………मोहन !
प्रीत की पौढी पर
अंकित तुम्हारे पाद पद्म
ह्रदयांगन अवलोकित कर गये
और तरंगें प्रवाहित हो गयीं
प्रीत अमरबेल सी सिरे चढ गयी
हाय! कैसी हैं ये मन मधुप की चिरौरियाँ ……………मोहन !
तुम्हारे प्रेम मे
नील वसना धरा बन
श्यामल चादर ओढ गयी
और देखो तो ज़रा अब
मैं भी श्यामल हो गयी
श्याम मन
श्याम तन
श्याम रंग
श्याम नयन
श्याम वसन
सुबह शाम सब श्याममय हो गये
हाय! कैसी हैं ये श्याम की श्यामल छवियाँ …………मोहन !
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9 टिप्पणियां:
तुम ही तुम अब सर्वत्र .........
तुम धवल धवल
मैं धवल धवल
तुम राग राग
मैं राग राग
तुम .........तुम ...........तुम अब हो सर्वत्र
बहुत बढ़िया मनमोहिनी प्रस्तुति !!
वाह बहुत मनभावन गीत लिखा है भक्तिमय कर गया ,बहुत दिन के बाद आज कमेन्ट करने का थोडा वक़्त मिला कश्मीर से लौटते हुए बच्चे घर पर साथ आये हुए हैं बहुत व्यस्त रखते हैं बीस पच्चीस दिन बहुत व्यस्तता में बीतेंगे नेट पर बैठने ही नहीं देते
shyam rang ki khooshboo me rachi basi vehad khoobshoorat prastuti,
ज्यों-ज्यों बूढ़े श्याम रँग ,त्यों त्यों उज्ज्वल होय!
श्याम मयी करती सुंदर रचना ....
अद्भुत रचना, प्रेमभरी उलाहना..
✿♥❀♥❁•*¨✿❀❁•*¨✫♥
♥सादर वंदे मातरम् !♥
♥✫¨*•❁❀✿¨*•❁♥❀♥✿
तुम्हारे प्रेम में
नील वसना धरा बन
श्यामल चादर ओढ गयी
और देखो तो ज़रा अब
मैं भी श्यामल हो गयी
श्याम मन
श्याम तन
श्याम रंग
श्याम नयन
श्याम वसन
सुबह शाम सब श्याममय हो गये
हाय! कैसी हैं ये श्याम की श्यामल छवियाँ …………मोहन !
आऽऽहा हाऽऽऽ हऽऽऽ !
बहुत बढ़िया !
बहुत सुंदर !
आदरणीया वंदना जी
आपकी भक्ति रचना के आनंद-सागर में डूब कर मन भावविभोर हो उठा ...
कोटिशः नमन उस लीलाधारी मोहन को !
...और उसके मोह में मोहित हो कर सुंदर सृजन द्वारा हमारा मन मोह लेने वाली आपकी लेखनी को !!
हार्दिक मंगलकामनाएं …
लोहड़ी एवं मकर संक्रांति के शुभ अवसर पर !
राजेन्द्र स्वर्णकार
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bahot hi sunder.....
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