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शनिवार, 29 जून 2013

सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे



सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे

तेरी प्यारी राह तकत है

बैठी बिरहा की मारी
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे

सुबह शाम का होश नहीं है

तनमन की सुध बिसरत है
कोई प्रियतम से मिलवा दे
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे

मेरे सलोने नटवर नागर

नैनन की प्यास बुझा दे
बस इक बेर दरस दिखा दे
सखी री कोई उनको संदेसा पहुँचा दे

8 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

sunder likha

विंडो 7 , xp में ही उठायें विंडो 8 का लुफ्त
विंडो 7 को upgrade करने का तरीका

Kailash Sharma ने कहा…

बहुत भावपूर्ण अभिव्यक्ति...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

मन की बातें कोई पहुँचा दे उन तक आज..

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

अपने आप ही पहुँच जाएगा संदेश .... कृष्ण से भला कहाँ कुछ छिपा है

Durga prasad mathur ने कहा…

जो रचना कलम से होती है हमारा मन पहले वहाँ जाता है,कलम ने जैसे जैसे शब्दों को उकेरा वैसे वैसे संदेश खुद ही चला गया ! सुन्दर आग्रह रचना के लिए बधाई !!
chitranshsoul.blogspot.com

HARE RAM MISHRA ने कहा…

सुंदर संदेशा आत्म निरिक्षण जैसा ......

HARE RAM MISHRA ने कहा…

सुंदर संदेशा आत्म निरिक्षण जैसा ......

Bhola-Krishna ने कहा…

प्रेरणादायक , अति सुंदर रचना ,राम भगतों को भी कृष्णा प्रेमोनमत्त कर दिया -
सखी री संदेशा पहुंचा री , कांन्ह तक
संदेशा पहुंचा री !
राधा प्यारी राह तकत है ,http://www.blogger.com/profile/02397604308408596994
बैठ बिरह की मारी ,
भीज गया असुवन से तन मन
भीजी सगरी सारी
सखी री ---------
सुबह शाम की होश नहीं है,
कुछ करने का जोश नहीं है,
तन मन की सुधि बिसर गई है,
यह बृषभानु दुलारी
सखी री ----------
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