जाने कौन सी बिजली गिरी कि जल गया आशियाँ
अब तुम्हारी याद में सुलगती नहीं लकड़ियाँ
किंकर्तव्य विमूढ़ हो गया है मन का हर कोना
जाने कैसी चलायी तुमने हवा उड़ गया है हर सफहा
खाली देग बन आंच पर जल रही हूँ
फिर भी सुलगती नहीं कोई चिता
ये कैसा तुमने मुझे बना दिया
जो तुम्हारे दीदार की चाह ना जन्म लेती यहाँ
एक प्रश्न बन कर खड़े हो जाते हो
और उत्तर के लिए तडपाते हो
कैसी बनायीं तुमने दास्ताँ
मुझसे मैं भी बिछड़ गयी
जाने किन गह्वरों में सिमट गयी
जाने कौन सी चट्टान , कौन सी शिला बना दिया
किसी राम के पद पखारने पर भी
फिर से ना मिलती अपनी सूरत यहाँ
ये कैसी खेती बुवाई है
कौन सी खाद लगायी है
किस ऐरावत ने जल बरसाया है
जो अब किसी भी कोने से
मेरा मन ना भीग पाया है
ना फसल अब उगती है
तुमसे भी ना शिकायत की ललक रखती है
अजब तमाशा बना दिया
मुझसे मुझे भी जुदा किया
अब ना मैं हूँ ना तुम हो
ना सम है ना विषम
ना ही कोई मौसम
बस लगता है जैसे
एक पत्थर की मूरत किसी ने बना दी
और जिसकी आँखों से मूर्तिकार ने
अविरल धारा अश्रुओं की बहा दी
अब मूरत दिन रात सावन सी बरसती है
गंभीर रुदन करती है
मगर जिह्वया खामोश हो गयी है
आँख भी बंद हो गयी है
तुम्हारी याद में कहूँ या अपने हाल पर कहूँ या निर्द्वन्दता कहूँ
अब इस परिस्थिति को क्या नाम दूं …………मोहन !
(कभी कभी किसी को हद से ज्यादा जान लेना भी दुष्कर कर देता है जीना )
7 टिप्पणियां:
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपको और आपके पूरे परिवार को दीपावली पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ।
स्वस्थ रहो।
प्रसन्न रहो हमेशा।
आपकी यह पोस्ट आज के (०२ नवम्बर, २०१३) ब्लॉग बुलेटिन - ये यादें......दिवाली या दिवाला ? पर प्रस्तुत की जा रही है | बधाई
बहुत सुन्दर अभिब्यक्ति ------!
बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज रविवार (03-11-2013) "बरस रहा है नूर" : चर्चामंच : चर्चा अंक : 1418 पर भी है!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का उपयोग किसी पत्रिका में किया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
प्रकाशोत्सव दीपावली की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
लगता है ज्यादा जान गये हैं पर क्या वाकई में जान लिया होता है?
बहुत सूंदर !
दीपोत्सव शुभ हो !
बहुत सुन्दर भावपूर्ण अभिव्यक्ति...
वाह!!! बहुत सुंदर !!!!!
उत्कृष्ट प्रस्तुति
बधाई--
उजाले पर्व की उजली शुभकामनाएं-----
आंगन में सुखों के अनन्त दीपक जगमगाते रहें------
एक टिप्पणी भेजें