हर साल रावण को जलाना प्रतीकात्मक संकेत
मगर फिर भी अंजान रहना इंसानी फ़ितरत से
नहीं , मुझमें रावण नहीं, राम है
फिर क्यों तेरे व्यवहार से जली पडोसी की ऊँगली है
जब तक ये नहीं जान पाओगे रावण को न मार पाओगे
जब तक मन रूपी रावण पर
संयम और संतोष का अंकुश नहीं लगाओगे
रावण का वध सम्भव ही नहीं
रावण कभी किसी भी युग में नहीं मरा करते
8 टिप्पणियां:
bilkul sahi
bilkul sach
बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (04-10-2014) को "अधम रावण जलाया जायेगा" (चर्चा मंच-१७५६) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
विजयादशमी (दशहरा) की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
नमस्कार !
बहुत सुन्दर रचना
आपका ब्लॉग देखकर अच्छा लगा !
मै आपके ब्लॉग को फॉलो कर रहा हूँ
मेरा आपसे अनुरोध है की कृपया मेरे ब्लॉग पर आये और फॉलो करें और अपने सुझाव दे !
सही बात कही है आपने। स्वयं शून्य
बुराई का कोई अन्त नहीं है
इस लिकं पर दृष्टि रखें:
http://disarrayedlife.blogspot.in/2014/10/science-vis-vis-india-part-1.html
सच कहा
http://bulletinofblog.blogspot.in/2014/10/2014-2.html
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