जब भी निहारना हो खुद को
मेरे मन दर्पण में
अक्स देख लेना
खुद से कुछ
इस तरह मिल लेना
बस यहीं तक है मेरा अधिकार
और तुम्हारा इंतज़ार
जरूरत नहीं तुम्हें
कोई शुभ लग्न तिथि मुहूर्त या वार देखने की
मेरे ह्रदय कमल खुला है
चारों पहर आठों याम
प्रेम भक्ति के भावों से भरे घर में
स्वागत है तुम्हारा
ओ कान्हा
२०१५ में मेरे घर आना
7 टिप्पणियां:
अवश्य आयेगा। नववर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।
सार्थक प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
सार्थक प्रस्तुति।
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शुक्रवार (02-01-2015) को "ईस्वीय सन् 2015 की हार्दिक शुभकामनाएँ" (चर्चा-1846) पर भी होगी।
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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नव वर्ष-2015 आपके जीवन में
ढेर सारी खुशियों के लेकर आये
इसी कामना के साथ...
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
आपको सपरिवार नव वर्ष की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ .....!!
आपको नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं
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