तन की थकान
तो उतर भी जाये
मन की थकान
कहाँ उतारूँ
किस पेड़ को
साया बनाऊँ
किस डाल पर
झूला डालूँ
कहाँ मैं यादों का
घरौंदा बनाऊँ
कौन सा अब
फूल खिलाऊँ
किस देहरी पर
माथा नवाऊँ
किस आँगन को
मैं बुहारूँ
किस मकां की
दहलीज पर
मन की
रंगोली सजाऊँ
तन की टूटन
जुड़ जाएगी
मन की टूटन
कहाँ जुडाऊँ
किस थाली में
मन को परोसूँ
कौन सा मैं
दीप जलाऊँ
किस देवता का
करूँ मैं पूजन
किस श्याम की
राधा बन जाऊँ
तन की थकन तो उतर भी जाए
मन की थकन उतारने को
किस श्याम का काँधा पाऊँ
कौन सा नेह दीप जलाऊँ
कौन सी बाँसुरी बजाऊँ
जो श्याम दौडे चले आयें
मुझ बिरहन को गले से लगायें
मेरी युगों की थकन मिटायें
तो उतर भी जाये
मन की थकान
कहाँ उतारूँ
किस पेड़ को
साया बनाऊँ
किस डाल पर
झूला डालूँ
कहाँ मैं यादों का
घरौंदा बनाऊँ
कौन सा अब
फूल खिलाऊँ
किस देहरी पर
माथा नवाऊँ
किस आँगन को
मैं बुहारूँ
किस मकां की
दहलीज पर
मन की
रंगोली सजाऊँ
तन की टूटन
जुड़ जाएगी
मन की टूटन
कहाँ जुडाऊँ
किस थाली में
मन को परोसूँ
कौन सा मैं
दीप जलाऊँ
किस देवता का
करूँ मैं पूजन
किस श्याम की
राधा बन जाऊँ
तन की थकन तो उतर भी जाए
मन की थकन उतारने को
किस श्याम का काँधा पाऊँ
कौन सा नेह दीप जलाऊँ
कौन सी बाँसुरी बजाऊँ
जो श्याम दौडे चले आयें
मुझ बिरहन को गले से लगायें
मेरी युगों की थकन मिटायें
27 टिप्पणियां:
बहुत खूब क्या बात है , शब्दो को पिरोनां तो कोई आपसे सिखे , लाजवाब ।
waah bhut khub vandna ji prem rash se bhari hui bhut sundar kavita
saadar
praveen pathik
9971969084
तन की टूटन जुड़ जायेगी
मन की टूटन कहाँ जुडाऊ
बहुत खूब , वंदना जी
किस थाली में
मन को परोसूँ
कौन सा मैं
दीप जलाऊँ
किस देवता का
करूँ मैं पूजन
किस श्याम की
राधा बन जाऊँ
मन के हारे हार है,
मन के जीते जीत!
तन और मन का आपने बहुत ही
सघनता से विश्लेषण करके
बहुत ही सुन्दररूप में यह प्रश्नगीत रचा है!
बधाई!
अति सुन्दर।
--------
कौन हो सकता है चर्चित ब्लॉगर?
पत्नियों को मिले नार्को टेस्ट का अधिकार?
bahut hee badhiya dhang se sajaaya hai aapne isey...
Vandana ! Behad sundar rachana!
किस थाली में
मन को परोसूँ
कौन सा मैं
दीप जलाऊँ
किस देवता का
करूँ मैं पूजन
किस श्याम की
राधा बन जाऊँ
,....मनोभावों की सुन्दर प्रस्तुति के लिए हार्दिक शुभकामनाएँ
रूह-आफजा से तो काम नहीं चलेगा इसके लिए आपको योग की शरण में जाना पड़ेगा। कविता अच्छी है।
सुन्दर रचना
मन की टूटन का बहुत सटीक विश्लेषण किया है ..बहुत अच्छी रचना....
अति सुन्दर... मन को छू लेने वाली रचना...
वंदना जी रचना हमेशा की तरह बेहतरीन लगी. ...आभार
वाह!जितनी जटिल असमंजस थी उतनी ही सरलता से बता दी गयी!ये शब्दों के चित्र.....
अति सुन्दर!
कुंवर जी,
तन की टूटन
जुड़ जाएगी
मन की टूटन
कहाँ जुडाऊँ
मन टूटता है तो --- इसलिये टूटने ही न दें
बहुत सुन्दर रचना
भाव गाम्भीर्य
सुंदर कविता...बहुत बढ़िया लगी...बधाई
लाजवाब ... लाजवाब .... लाजवाब ......
आनन्द आ गया, वन्दना जी.
एक अपील:
विवादकर्ता की कुछ मजबूरियाँ रही होंगी अतः उन्हें क्षमा करते हुए विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.
हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.
-समीर लाल ’समीर’
वाह, बहुत सुन्दर कविता है !
वंदना जी बहुत सुंदर रचना.
इसके लिए आभार
ज्ञानदत्त ने लडावो और राज करो के तहत कल बहुत ही घिनौनी हरकत की है. आप इस घिनौनी और ओछी हरकत का पुरजोर विरोध करें. हमारी पोस्ट "ज्ञानदत्त पांडे की घिनौनी और ओछी हरकत भाग - 2" पर आपके सहयोग की अपेक्षा है.
कृपया आशीर्वाद प्रदान कर मातृभाषा हिंदी के दुश्मनों को बेनकाब करने में सहयोग करें. एक तीन लाईन के वाक्य मे तीन अंगरेजी के शब्द जबरन घुसडने वाले हिंदी द्रोही है. इस विषय पर बिगुल पर "ज्ञानदत्त और संजयदत्त" का यह आलेख अवश्य पढें.
-ढपोरशंख
bahut khub aapki prastuti auchhi lgi
सिर्फ एक शब्द, बेहतरीन !
achchha likha hai ji.
वाह,बहुतअच्छा लिखा है आपने |आपकी प्रेमानुभूति स्तुत्य है क्योकि किसी का हो जाना या किसी को अपना बना लेना -ये दोनों घटनाएँ जीवन में दिव्यता सूचक हैं .
वाह,बहुतअच्छा लिखा है आपने |आपकी प्रेमानुभूति स्तुत्य है क्योकि किसी का हो जाना या किसी को अपना बना लेना -ये दोनों घटनाएँ जीवन में दिव्यता सूचक हैं .
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