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शनिवार, 26 जून 2010

नमन

श्याम मोहन मदन मुरारी
राधे- राधे रटती प्यारी 
कृष्ण केशव कुञ्ज बिहारी
रमता जोगी बहता पानी 
आनंद कंद  मुरली धारी 
जमुना जी की महिमा न्यारी
गोविन्द माधव गिरिवरधारी 
खोजत -खोजत सखियाँ हारी 
आनंदघन अविनाशी त्रिभुवनधारी
कुञ्ज- कुञ्ज में बसे गिरधारी
नटवर नागर छैल बिहारी
रोम- रोम में रमे मुरारी
सुखधाम सुधासम कृष्ण मुरारी
कण -कण में रम रहे रमणबिहारी

11 टिप्‍पणियां:

Sulabh Jaiswal "सुलभ" ने कहा…

बंसीवाले तेरे रूप अनेक

Mukesh K. Agrawal ने कहा…

जय जय श्री कृष्ण

दीदी, आपका यह ब्लॉग गागर में कृष्ण प्रेम रूपी सागर सा प्रतीत होता है.....

मेरे ब्लॉग पर उत्साहवर्धन के लिए कोटि कोटि धन्यवाद

आपका भ्राता

kshama ने कहा…

Kitne anoothe roopon ka parichay karaya aapne!

सुरेन्द्र "मुल्हिद" ने कहा…

jai sri krishna....

mazaa aa gaya is roop ke darshan paa ke...

निर्मला कपिला ने कहा…

जै श्रीकृष्ण बहुत सुन्दर भजन है बधाई।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

श्याम मोहन मदन मुरारी
राधे- राधे रटती प्यारी
--
बहुत ही प्यारा भजन रचा है आपने!

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

मुकुट बिहारी के सारे रूपों के दर्शन हो गए..सुन्दर अभिव्यक्ति

राजकुमार सोनी ने कहा…

मुरलीवाले की महिमा अपार है उसके बिना जीना बेकार है। आपको एक शानदार रचना के लिए बधाई।

माधव( Madhav) ने कहा…

badhiyaa

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

आजकल कुछ व्यस्तता ज़्यादा है.... फिर भि कोशिश पूरी रहती है..... आपके ब्लॉग को पढने की....आज की यह रचना बहुत अच्छी लगी....

Shabad shabad ने कहा…

बहुत ही प्यारा भजन ...
अच्छी रचना ....