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रविवार, 5 जनवरी 2014

प्यास के पनघटों पर


प्यास के पनघटों पर 
प्यास की गगरी न छलकती है 
प्यास से व्याकुल तो 
मीरा भी छनकती है 
दरस की दीवानी देखो 
गली गली भटकती है 
कहीं प्यास भी कभी 
किसी पानी से बुझती हैं 
जितना पियो ये तो 
उतनी ही रोज बढ़ती है 

लगा लो अगन 
बढ़ा लो तपन 
प्यास के शोलों में 
भड़का दो गगन 
जो सिमट जाए किसी गागर में 
ये न ऐसी शय होती है 
किसी को मिलन की प्यास है 
किसी को दरस की आस है 
किसी को किसी स्वप्न की तलाश है 
प्यास का क्या है 
ये तो हर घट में बसती है 
अब ये तुम पर है 
तुम कैसे इसे बुझाते हो 
चाहे राधा बनो चाहे श्याम 
प्यास के पंछियों का नहीं कोई मुकाम 
जो बुझ जाए वो प्यास नहीं 
जो मिट जाए वो आस नहीं 
पियो प्याला प्रेम का 
भर  नैनों में नीर 
फिर भी ना बुझे 
सदियों की जगी पीर 
बस यूँ दिगपर्यंत जो 
प्यास की लौ जलती है 
वो ही तो प्यास की
अंतिम लकीर होती है 
क्योंकि …… प्यारे 
एक युगपर्यंत चिता सी जो 
युगपर्यंत तक जलती है 
और बुझाने की कोई जुगत
न जिस पर चलती है 
बस वो ही तो अमिट प्यास होती है 
जितनी बुझाई जाए उतनी ही बढ़ती है 
प्यास के दीवानों की प्यास तो सिर्फ प्यास से ही बुझती है …… 

सागर का तीरा है 
खामोश ज़खीरा है 
और प्यास की रेत पर मीन का डेरा है 

यूँ भी प्यास के समन्दरों की प्यास भला कब बुझी है
बस अतृप्ति के आँचल में ही तो प्यास परवान चढ़ी है 

15 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

जो बुझ जाए वो प्यास नहीं
जो मिट जाए वो आस नहीं .......
बहुत सुन्दर |
नया वर्ष २०१४ मंगलमय हो |सुख ,शांति ,स्वास्थ्यकर हो |कल्याणकारी हो |

नई पोस्ट सर्दी का मौसम!
नई पोस्ट विचित्र प्रकृति

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आस के पनघट सदा से प्यासे।

Misra Raahul ने कहा…

काफी उम्दा रचना....बधाई...
नयी रचना
"एक नज़रिया"
आपको नव वर्ष की ढेरो-ढेरो शुभकामनाएँ...!!
आभार

मेरा मन पंछी सा ने कहा…

बहुत ही बेहतरीन रचना....
:-)

Shikha Kaushik ने कहा…

sundar prastuti .aabhar

दिगम्बर नासवा ने कहा…

krishna ke prem ki pyaas to jitnaa bhi uthe ... bujhti nahi ...

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

waah bahut sundar ....ye pyas kabhi nahi bujhti ....

Unknown ने कहा…

superb composition

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा आज सोमवार (06-01-2014) को "बच्चों के खातिर" (चर्चा मंच:अंक-1484) पर भी होगी!
--
सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Vaanbhatt ने कहा…

प्रभु दर्शन की प्यास कभी तृप्त नहीं होती...

बेनामी ने कहा…

बहुत सुन्दर व् सार्थक अभिव्यक्ति .नव वर्ष २०१४ की हार्दिक शुभकामनाएं

Rakesh Kumar ने कहा…

सुन्दर है प्यास का फलसफा
आभार

Unknown ने कहा…

JAB TAK PYAAS HAI .TAB TAK PREET HAI .YAHI DUNIYA KI REET HAI .SUNDAR PRASTUTI.....

Mukesh Tyagi ने कहा…

बहुत सुंदर कविता...प्यास ही तो हमें जीवित रखने और कुछ कर पाने के लिए उत्प्रेरक का कार्य करती है...बस प्यास सही दिशा में होनी चाहिए...

Mukesh Tyagi ने कहा…

शुभकामनाएँ !