सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
रो-रो धार अँसुवन की
छोड़ गयी कितनी लकीरें
आस सूख गयी
प्यास सूख गयी
सावन -भादों बीते सूखे
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
बिन अँसुवन के
अँखियाँ बरसतीं
बिन धागे के
माला जपती
हो गए हाल
बिरहा के
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
श्याम बिना फिरूं
हो के दीवानी
लोग कहें मुझे
मीरा बावरी
कैसे कटें
दिन बिरहन के
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
हार श्याम को
सिंगार श्याम को
राग श्याम को
गीत श्याम को
कर गए
जिय को रीते
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
21 टिप्पणियां:
Nice!!! Sakhi ree
waah khoob meera aur shyam ke adbhut prem ka darshan hua...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/
सुंदर भाव..वियोग रस से सजी एक बढ़िया भावपूर्ण कविता...बधाई
क्या बात है
आपने गज़ब चित्र दिया है
बहुत बेहतरीन ह्रदय की पवित्र भावनाओं को जब जगत नियन्ता की ओर मोड़ दिया जाता है तो उनमे और पवित्रता आजाती है ,,,, और आप ने जिस तरह इन्हें शब्दों का सम्बल दिया है अदभुद है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084
bahut hi aachi rachna....
nice
बहुत भावपूर्ण रचना है।बहुत सुन्दर!!
nice
Bahut,bahut sundar!
कर गए
जिय को रीते
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
बेहतरीन, भाव अत्यंत सघन
रचना पढ़कर हम भी भकितमय हो गये!
मगर ये् तो आपका गद्य का ब्लॉग है!
यह रचना तो जिन्दगी पर होनी चाहिए थी!
ek bahot hi acchi rachna. print ke liyai bhaji. yadi uchit samji to katha chakra ke liyai bhaj dai.
बिन अँसुवन के
अँखियाँ बरसतीं
बिन धागे के
माला जपती
भाव स्पष्ट करने के लिए बिम्बों का उत्तम प्रयोग।
Meera aur Surdaas ke lahze me likhi gayi ye kavita apne aap me ek alag hi sthan rakhti hai Vandana ji.
बहुत ही सुन्दर भक्ति रस काव्य है ! बधाई !
सुन्दर भक्तिमय भाव!! आनन्द विभोर हुए!!
बहुत ही सुन्दर विरह वर्णन। भाषा और भाव का मिश्रण अच्छा है और शिल्प भी ठीक है..एक मुकम्मल रचना के लिये आपको बधाई ।।
कर गए
जिय को रीते
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
ओह्ह वियोग रस से सजी इतनी भक्तिमय रचना...दिल भीग आया
"नैनन पड़ गए फीके", बहुत खूब रही, बढ़िया पोस्ट, हार्दिक बधाईयाँ.
Ravish
http://alfaazspecial.blogspot.com/
नैनन पड़ गए फीके
bahut umda rachna hai
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