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रविवार, 14 जुलाई 2013

प्रेम का गीत





मैने तो बांसुरी में राधा राधा पु्कारा 
जाने कैसे हर सुर संगीत बन गया 
जो ना कहा ना सुना किसी ने 
जाने कैसे वो प्रेम का गीत बन गया 

9 टिप्‍पणियां:

विभूति" ने कहा…

khubsurat prem geet...

Neeraj Neer ने कहा…

वाह बहुत खूब ।

atul bhatnagar ने कहा…

bohat achcha

दिगम्बर नासवा ने कहा…

राध राधा नाम एन ही ट सब कुछ बसा है ... ये संगीत भी उसी का है ...

Aditi Poonam ने कहा…

वाह....बहुत खूब....प्रेम का अनोखा रूप...

Unknown ने कहा…

वाह ..... संगीत के सुर हमे भी विभोर कर रहे हैं :)

Anupama Tripathi ने कहा…

बहुत सुन्दर और पावन भाव ....वंदना जी ...

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बहुत सुन्दर भाव..

Unknown ने कहा…

अनुपम पावन भावोँ की प्रस्तुति । बधाई । सस्नेह