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रविवार, 18 अप्रैल 2010

नैनन पड़ गए फीके

सखी री मेरे
 नैनन पड़ गए फीके
रो-रो धार अँसुवन की 
छोड़ गयी कितनी लकीरें
आस सूख गयी 
प्यास सूख गयी
सावन -भादों बीते सूखे 
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
बिन अँसुवन  के 
अँखियाँ बरसतीं 
बिन धागे के 
माला जपती 
हो गए हाल  
बिरहा  के 
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके  
श्याम बिना फिरूं 
 हो के दीवानी
लोग कहें मुझे 
मीरा बावरी 
कैसे कटें 
दिन बिरहन के
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
हार श्याम को
सिंगार श्याम को
राग श्याम को
गीत श्याम को
कर गए
जिय को रीते 
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके






21 टिप्‍पणियां:

राकेश जैन ने कहा…

Nice!!! Sakhi ree

दिलीप ने कहा…

waah khoob meera aur shyam ke adbhut prem ka darshan hua...
http://dilkikalam-dileep.blogspot.com/

विनोद कुमार पांडेय ने कहा…

सुंदर भाव..वियोग रस से सजी एक बढ़िया भावपूर्ण कविता...बधाई

Podcaster ने कहा…

क्या बात है
आपने गज़ब चित्र दिया है

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) ने कहा…

बहुत बेहतरीन ह्रदय की पवित्र भावनाओं को जब जगत नियन्ता की ओर मोड़ दिया जाता है तो उनमे और पवित्रता आजाती है ,,,, और आप ने जिस तरह इन्हें शब्दों का सम्बल दिया है अदभुद है
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

Tej ने कहा…

bahut hi aachi rachna....

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत भावपूर्ण रचना है।बहुत सुन्दर!!

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

kshama ने कहा…

Bahut,bahut sundar!

M VERMA ने कहा…

कर गए
जिय को रीते
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
बेहतरीन, भाव अत्यंत सघन

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

रचना पढ़कर हम भी भकितमय हो गये!

मगर ये् तो आपका गद्य का ब्लॉग है!
यह रचना तो जिन्दगी पर होनी चाहिए थी!

अखिलेश शुक्ल ने कहा…

ek bahot hi acchi rachna. print ke liyai bhaji. yadi uchit samji to katha chakra ke liyai bhaj dai.

मनोज कुमार ने कहा…

बिन अँसुवन के
अँखियाँ बरसतीं
बिन धागे के
माला जपती
भाव स्पष्ट करने के लिए बिम्बों का उत्तम प्रयोग।

दीपक 'मशाल' ने कहा…

Meera aur Surdaas ke lahze me likhi gayi ye kavita apne aap me ek alag hi sthan rakhti hai Vandana ji.

Indranil Bhattacharjee ........."सैल" ने कहा…

बहुत ही सुन्दर भक्ति रस काव्य है ! बधाई !

Udan Tashtari ने कहा…

सुन्दर भक्तिमय भाव!! आनन्द विभोर हुए!!

Narendra Vyas ने कहा…

बहुत ही सुन्‍दर विरह वर्णन। भाषा और भाव का मिश्रण अच्‍छा है और शिल्‍प भी ठीक है..एक मुकम्‍मल रचना के लिये आपको बधाई ।।

rashmi ravija ने कहा…

कर गए
जिय को रीते
सखी री मेरे
नैनन पड़ गए फीके
ओह्ह वियोग रस से सजी इतनी भक्तिमय रचना...दिल भीग आया

Ravish Tiwari (रविश तिवारी ) ने कहा…

"नैनन पड़ गए फीके", बहुत खूब रही, बढ़िया पोस्ट, हार्दिक बधाईयाँ.

Ravish
http://alfaazspecial.blogspot.com/

Shri"helping nature" ने कहा…

नैनन पड़ गए फीके


bahut umda rachna hai