पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लॉग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जायेये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

गुरुवार, 1 अगस्त 2013

तो क्या ............ यही है जीवन सत्य , जीवन दर्शन

पता नहीं 
एक अजीब सी वितृष्णा समायी है आजकल 
सब चाहते हैं 
अगले जनम हर वो कुंठा पूरी हो जाए 
जो इस जनम में न हुयी हो 
कोई कहे अगले जनम मोहे बिटिया ही कीजो 
कोई कहे अगले जनम मोहे बेटा ही दीजो 
सबकी अपनी अपनी चाहतें हैं 
अपने अपने पैमाने हैं 
मगर जब मैं सोचने बैठी 
तो खाली हाथ ही रही 
पता नहीं कोई सोच आकार ही न ले सकी 
किसी चाहत ने सर ही नहीं उठाया 
एक अजब सी उहापोह से गुजरती हूँ 
कभी सारे जहाँ को मुट्ठी में कैद करना चाहती हूँ 
तो कभी शून्य में समाहित हो जाती हूँ 
सोच किसी अंजाम तक पहुँच ही नहीं पाती 
अब दिल और दिमाग 
चाहत और सोच 
सब रस्साकशी से मुक्त से लगते हैं 
तो क्या 
अवसरवादी हूँ किसी अवसर की प्रतीक्षा में 
कोई अमरता का वरदान मिल जाये और लपक लूं 
या संवेदनहीन हो गयी हूँ मैं 
या निर्झर नीर सी बह रही हूँ मैं 
उत्कंठा मुक्त होकर , चाहत मुक्त होकर 
या जीते जी मुक्त हो गयी हूँ मैं .......विषय योनि से 
नहीं जान पा रही ..............
तितिक्षा , अभिलाषा , प्रतीक्षा ...........कुछ भी तो नहीं मेरी मुट्ठी में 
हाथ खाली हैं अब वैसे ही जैसे आते वक्त थे 
तो क्या ............
यही है जीवन सत्य , जीवन दर्शन 
शून्य से शून्य में समाहित होता ............
सूक्ष्म जगत का सूक्ष्म व्यवहार ..........