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शनिवार, 9 फ़रवरी 2013

ओह प्यारे! यूँ मन को मोहना कोई तुमसे सीखे





ओह प्यारे! यूँ मन को मोहना कोई तुमसे सीखे

ये मनमोहक छवि तुम्हारी
देख - देख मैं तो दिल हारी

सांवरिया ! ये मधुर मुस्कान तुम्हारी
जैसे हो कोई तीखी कटारी

कितने सहज, सरल ,
सलोने रूप हैं तिहारे 
इस मधुर रूप रस का पान
करते नैन हमारे 

निश्छल , निर्मल रूप धारे 
कैसे बैठे हो मधुबन में प्यारे 

इस लजीली , रसीली 
बाँकी छवि पर तिहारी
मैं तो खुद को वारूँ प्यारे 

ओ नटखट चितचोर हमारे
कैसे सुन्दर रूप तुम्हारे  
हम तो अपना सब कुछ हारे ………

1 टिप्पणी:

Rakesh Kumar ने कहा…

हम तो अपना सब कुछ हारे

तेरा तुझ को अर्पण क्या लागे मेरा.
फिर आपका अपना क्या था वन्दना जी ,
जो आपने हारा.