पेज

मेरी अनुमति के बिना मेरे ब्लोग से कोई भी पोस्ट कहीं ना लगाई जाये और ना ही मेरे नाम और चित्र का प्रयोग किया जाये

my free copyright

MyFreeCopyright.com Registered & Protected

रविवार, 15 जुलाई 2018

काश वापसी की कोई राह होती

काश वापसी की कोई राह होती
है न ...दृढ निश्चय
फिर छोड़ा जा सकता है सारा संसार और मुड़ा जा सकता है वापस उसी मोड़ से

लेकिन क्या संभव है सारा संसार छोड़ने पर भी उम्र का वापस मुड़ना ?
युवावस्था का फिर बचपन में लौटना
वृद्धावस्था का फिर युवा होना
है न ....मन को साध लो फिर जो चाहे बना लो
कैसे ?
किसी बच्चे के साथ खुद को जोड़ लो
बचपन लौट आएगा
किसी युवा की सोच अपना लो
जवानी का दौर फिर लौट आएगा
मगर जर्जर तन कब इजाज़त देता है
ये तो हर मोड़ पर एक इम्तिहान लेता है
मन से ही तन सधता है
बस इतना जान लो
मृत्यु से पहले न खुद को मृत मान लो
फिर वापसी स्वयमेव हो जायेगी
फिर वो संसार हो
उम्र हो
ब्रह्माण्ड हो
कल्प हों
या फिर प्रकृति हो

जहाँ से कहानी शुरू वहीँ ख़त्म होती है
वापसी की राह भी रास्ता देती है
अंतिम अणु तक पहुँच ही वापसी का द्योतक है

©वन्दना गुप्ता vandana gupta 




4 टिप्‍पणियां:

रश्मि प्रभा... ने कहा…

https://bulletinofblog.blogspot.com/2018/07/blog-post_15.html

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (17-07-2018) को "हरेला उत्तराखण्ड का प्रमुख त्यौहार" (चर्चा अंक-3035) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar ने कहा…

आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन इमोजी का संसार और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

गिरधारी खंकरियाल ने कहा…

धरा प जीव मरणधर्मा हैं, किन्तु जीवन्त होकर जीना ही श्रेष्ठ दर्शन है।