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सोमवार, 11 अप्रैल 2011

फॅमिली बैकग्राउंड

दोस्तों
अभी कुछ दिन पहले मुझसे रश्मि जी ने ये प्रश्न पूछा था और उसका जवाब मैंने ये लिखकर दिया था ...........ये तो थी मेरी सोच अब आप बताइए आप इस बारे में क्या सोचते हैं 


फॅमिली बैकग्राउंड का क्या अर्थ है ? पूरी तरह से सोचकर लिखें ... शब्दिकता पर न जाएँ.




आज के युग में लोग फॅमिली का ही अर्थ नहीं जानते तो फॅमिली बैकग्राउंड  का अर्थ कहाँ समझेंगे . फिर भी एक कोशिश करती हूँ इसे अपने नज़रिए से अर्थ देने की.


मेरे ख्याल से फॅमिली बैकग्राउंड से सीधा अर्थ तो ये ही निकलता है कि-----------

  1. एक फॅमिली के लोग और उनके पूर्वज कैसे थे या कैसे हैं , उन सबके ख्यालात कैसे हैं ?
  2. आधुनिकता की सिर्फ चादर ओढ़े हैं या असलियत में उनके विचारों में परिपक्वता है ?
  3. उनके रहन सहन का तरीका कैसा है?
  4. बोलचाल की भाषा कैसी है ?
  5. सभ्य और सुसंस्कृत है या जैसा देश वैसा भेष वाली है ?
  6. वो क्या काम करते हैं? काम को लेकर कितने serious हैं ?
  7. धार्मिकता का सिर्फ लबादा ही ओढ़ रखा है या वास्तव में संस्कार वान हैं ?
  8. समाज में उनका क्या स्थान है ? कहीं ऐसा तो नहीं सामने तो सब झुककर सलाम करते हों और पीछे से गाली देते हों ?
  9. इन्सान का व्यवहार ही उसकी पहचान होता है .छोटों से कैसा और बड़ों से कैसा व्यवहार करते हैं और हमउम्र से कैसे मिलते हैं ?
  10. अभिमान और दंभ ही तो उनके आभूषण नहीं ? या सहनशीलता , दया और परोपकार ही उनके आभूषण हैं ?

इस तरह की अनेकों चीजें होती हैं जो एक फॅमिली के लिए धरातल बनाती हैं जिनसे उस फॅमिली के बारे में सही आकलन किया जा सकता है .




इसकी तह तक कैसे जायेंगे और क्या वही होता है जिसके लिए हम तथाकथित बैक ग्राउंड देखते हैं ?


ये एक बहुत ही मुश्किल प्रश्न है और जिसका उत्तर तलाशने निकले इन्सान को उसका सही जवाब मिल जाये ये कहना मुमकिन नहीं है क्योंकि हम सभी सिर्फ कुछ पहलुओं पर ही गौर करके आगे की कार्यवाही रोक देते हैं और सोचते हैं कि  जिसकी इतनी बातें सही हैं तो वो सच में सही होगा फिर बाद में धोखा खाने पर हाथ मलने के सिवा और कुछ नहीं मिलता .
हर काम को जितनी लगन और सहनशीलता से किया जाये वो उतना ही अच्छा फल देता है और अगर किसी का फॅमिली  बैकग्राउंड देखना हो तो उसके लिए तो बहुत ही धैर्य से काम लेना होगा .........अपनी आँख और कान चौकन्ने रखने होंगे, किसी की कही बातों पर विश्वास न करके खुद जांचना परखना चाहिए .........हर कदम फूंक फूंक कर रखना चाहिए तभी ये संभव हो सकता है कि मनोवांछित परिणाम प्राप्त हो ............और यदि एक बार धैर्य और लगन से काम कर लिया जाए , छानबीन कर ली जाए तो ज़िन्दगी भर का आराम और दिमागी तसल्ली  मिल जाती है ..........ये पता चल जाता है कि जिसके बारे में हमने जानकारी हासिल की है - वो कैसा है ? हमारी कसौटी पर खरा उतरता है या नहीं .........एक बार पता चल जाये तो निर्णय लेने में आसानी होती है और ज़िन्दगी को नयी दिशा मिल जाती है .
सिर्फ किसी के कहने भर से या किसी को जानने भर से हम उसके बारे में कोई आकलन नहीं कर सकते .इसी का असर हमारे निर्णय पर पड़ता है और एक सही निर्णय ही ज़िन्दगी को सहज और सरल बना सकता है और गलत उम्र भर की मुसीबत . 
इसलिए मेरी दृष्टि में तो इन सब बातों पर गौर करने के बाद ही हम किसी के बारे में या उसकी फॅमिली के बारे में सही आकलन कर सकते हैं. 



16 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

व्यक्तित्व निर्माण में परिवारों का विशद योगदान है।

Udan Tashtari ने कहा…

विचारणीय...

Rakesh Kumar ने कहा…

शादी के लिए लड़का लड़की देखने से पूर्व पहले उसके खानदान को ज्यादा महत्व दिया जाता था.शायद इसीको अब 'फैमली बैक ग्राउण्ड' के रूप में जाना जाने लगा है.हमारे शास्त्रों में भी वंश को महत्व दिया गया है.जैसे राम को रघुवंशी,कृष्ण को यदुवंशी जाना जाता है.वंश में जो महान आत्माएं अवतरित होती हैं उन्ही से वंश प्रसिद्धि paता है.परन्तु व्यक्तिगत अच्छाई बुराई को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता.वंश या फॅमिली बैक ग्राउण्ड का आकलन सरल नहीं,व्यक्ति का आकलन उसकी सोच,भावों, कर्मों और संस्कारों से किया जा सकता है.
इस बार आपकी पोस्ट जरा हट कर है,विचारणीय है.
अच्छा लगा आपके विचारों को जान कर.

Satish Saxena ने कहा…

पारिवारिक संस्कारों पर एक विचारणीय पोस्ट ! शुभकामनायें !

अजित गुप्ता का कोना ने कहा…

किस परिपेक्ष्‍य में है यह आकलन, थोड़ा यह और स्‍पष्‍ट होता तो टिप्‍पणी करने में सुविधा होती। अब नौकरी के लिए फैमिली बेकग्राउण्‍ड देखना है या पारिवारिक विवाह आदि सम्‍बन्‍ध बनाने के लिए? नौकरी आदि में तो उसके यहाँ कितने शिक्षित या कितने पदों पर लोग हैं, यह इसके अन्‍तर्गत आएगा लेकिन विवाह आदि सम्‍बन्‍धों में नैतिक चरित्र भी शामिल हो जाता है। कुछ बेईमान भी होते हैं उन्‍हें अपने जैसा ही चाहिए।

निर्मला कपिला ने कहा…

विचारनीय प्रश्न है। बहुत दिनो बाद घर लौटी हूँ । बहुत कुछ बिना पढा रह गया\ देखती हूँ। शुभकामनायें।

ZEAL ने कहा…

पहले विवाह के सन्दर्भ में इसे 'Family tree' की तरह लेते थे , आजकल इसे पूरी जांच-पड़ताल की तरह लेते हैं।

रश्मि प्रभा... ने कहा…

paas baithe, saath rahte ko hum nahi jaan paate ... matra puchtaach ke adhaar per hum kya sahi tak pahunch paate hain .... yah prashn vicharniy adhik hai

रचना ने कहा…

without context its difficult to say

"family background" has different meanings

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून ने कहा…

:)

नीलांश ने कहा…

vyakti ko parakhna chahiye
pariwaar ko nahi...

wo vyakti hi saath nibhaayega..
bas yahi sach hai...

nirdosh na maara jaaye
bas aap lekhan ,aandolan se sath den..
jo paap karenge..swaym bharenge...
sidhi baat

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

विचारणीय प्रश्न और उपयोगी पोस्ट!

दीपक बाबा ने कहा…

बहुत ही विचारउत्पेदक पोस्ट लिखी है आपने........ परिवार के गौरव को जो बच्चा जान लेता है... वो जिदगी में गलत काम नहीं कर सकता ....... उसके कदम लडखडाते जरूर है पर संभल जाते है.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

सही बात है एक बार अगर गलत निर्णय किसी परिवार के वारे में ले लिया और वह वैसा न निकला जैसे हमने सोचा था तो जिन्दगी नर्क बनने में देर नहीं लगेगी । आपका कहना सत्य है सब बातों पर गौर करने के बाद ही कोई आकलन करना चाहिये

मेरे भाव ने कहा…

फैमिली बैक ग्राउंड में लगभग वे सब बातें आनी चाहिए जो आपने लिखी हैं.

Arun M ........अ. कु. मिश्र ने कहा…

आपकी दृष्टि उत्तम है....होना तो यही चाहिए. टॉपिक भी आपने अच्छा लिया है. शुभकामनाएं!!