काश वापसी की कोई राह होती 
है न ...दृढ निश्चय 
फिर छोड़ा जा सकता है सारा संसार और मुड़ा जा सकता है वापस उसी मोड़ से 
लेकिन क्या संभव है सारा संसार छोड़ने पर भी उम्र का वापस मुड़ना ?
युवावस्था का फिर बचपन में लौटना 
वृद्धावस्था का फिर युवा होना 
है न ....मन को साध लो फिर जो चाहे बना लो 
कैसे ?
किसी बच्चे के साथ खुद को जोड़ लो 
बचपन लौट आएगा 
किसी युवा की सोच अपना लो 
जवानी का दौर फिर लौट आएगा
मगर जर्जर तन कब इजाज़त देता है 
ये तो हर मोड़ पर एक इम्तिहान लेता है 
मन से ही तन सधता है 
बस इतना जान लो 
मृत्यु से पहले न खुद को मृत मान लो 
फिर वापसी स्वयमेव हो जायेगी 
फिर वो संसार हो 
उम्र हो 
ब्रह्माण्ड हो 
कल्प हों 
या फिर प्रकृति हो 
जहाँ से कहानी शुरू वहीँ ख़त्म होती है 
वापसी की राह भी रास्ता देती है 
अंतिम अणु तक पहुँच ही वापसी का द्योतक है 
©वन्दना गुप्ता vandana gupta