गतांक से आगे ....................................
एक बार अर्चना को पत्रिका वालों की तरफ़ से एक सूचना मिली कि पत्रिका में अपनी कविता छपवाने के लिए फोटो का होना जरूरी है -------------- अर्चना की कविताओं के दीवानों के आग्रह के कारण पत्रिका वालों को अर्चना से ये गुजारिश करनी पड़ी। अब इस आग्रह को अर्चना को स्वीकार तो करना ही था । और फिर जब अर्चना की फोटो उसकी नई कविता के साथ छपी तो जैसे तहलका सा मच गया । जितने पाठक थे उनकी इच्छा तो पूरी हो ही चुकी थी मगर जिसके ह्र्दयान्गन पर ,जिसकी कुंवारी कल्पनाओं पर जिस हुस्न की मलिका का राज था जब उसने अपनी कल्पना को साकार देखा तो जैसे होश खो बैठा। उसकी कल्पनाओं से भी सुंदर थी उसकी हकीकत । अपने ख्वाब को हकीकत में देखना --------आह ! एक चिराभिलाषा पूरी होना। अजय अब तो जैसे दीवाना हो गया और उसके चित्रों की नायिका का भी जीवन बदलने लगा , वहाँ अब प्रेम का सागर हिलोरें मारने लगा। अब अजय की अभिव्यक्ति और भी मुखर हो गई। उसकी नायिका और चित्रों के रंग और रूप दोनों ही बदलने लगे।
अजय की चित्रकारी देखकर अर्चना को भी एक नया अहसास होने लगा । उसे भी लगने लगा कि उसका भी एक आयाम है किसी के जीवन में । वो भी किसी की प्रेरणा बन सकती है ---------उसे कभी इसका विश्वास ही नही होता था। अर्चना के जीवन का ये एक नया मोड़ था । जहाँ उसके अस्तित्व को एक पहचान मिल रही थी जिसका उसे सपने में भी गुमान न था । उसके लिए ये एक सुखद अहसास था ..............अपने अस्तित्व की पहचान का ।
क्रमशः .................................
एक बार अर्चना को पत्रिका वालों की तरफ़ से एक सूचना मिली कि पत्रिका में अपनी कविता छपवाने के लिए फोटो का होना जरूरी है -------------- अर्चना की कविताओं के दीवानों के आग्रह के कारण पत्रिका वालों को अर्चना से ये गुजारिश करनी पड़ी। अब इस आग्रह को अर्चना को स्वीकार तो करना ही था । और फिर जब अर्चना की फोटो उसकी नई कविता के साथ छपी तो जैसे तहलका सा मच गया । जितने पाठक थे उनकी इच्छा तो पूरी हो ही चुकी थी मगर जिसके ह्र्दयान्गन पर ,जिसकी कुंवारी कल्पनाओं पर जिस हुस्न की मलिका का राज था जब उसने अपनी कल्पना को साकार देखा तो जैसे होश खो बैठा। उसकी कल्पनाओं से भी सुंदर थी उसकी हकीकत । अपने ख्वाब को हकीकत में देखना --------आह ! एक चिराभिलाषा पूरी होना। अजय अब तो जैसे दीवाना हो गया और उसके चित्रों की नायिका का भी जीवन बदलने लगा , वहाँ अब प्रेम का सागर हिलोरें मारने लगा। अब अजय की अभिव्यक्ति और भी मुखर हो गई। उसकी नायिका और चित्रों के रंग और रूप दोनों ही बदलने लगे।
अजय की चित्रकारी देखकर अर्चना को भी एक नया अहसास होने लगा । उसे भी लगने लगा कि उसका भी एक आयाम है किसी के जीवन में । वो भी किसी की प्रेरणा बन सकती है ---------उसे कभी इसका विश्वास ही नही होता था। अर्चना के जीवन का ये एक नया मोड़ था । जहाँ उसके अस्तित्व को एक पहचान मिल रही थी जिसका उसे सपने में भी गुमान न था । उसके लिए ये एक सुखद अहसास था ..............अपने अस्तित्व की पहचान का ।
क्रमशः .................................
4 टिप्पणियां:
"-----उसे कभी इसका विश्वास ही नही होता था। अर्चना के जीवन का ये एक नया मोड़ था । जहाँ उसके अस्तित्व को एक पहचान मिल रही थी जिसका उसे सपने में भी गुमान न था । उसके लिए ये एक सुखद अहसास था ..............अपने अस्तित्व की पहचान का ।"
वाह....।
कहानी में कल्पना और कल्पना में कहानी का मिश्रण
बहुत आनन्द आया पढ़कर।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा है।
"-----उसे कभी इसका विश्वास ही नही होता था। अर्चना के जीवन का ये एक नया मोड़ था । जहाँ उसके अस्तित्व को एक पहचान मिल रही थी जिसका उसे सपने में भी गुमान न था । उसके लिए ये एक सुखद अहसास था ..............अपने अस्तित्व की पहचान का ।"
वाह....।
कहानी में कल्पना और कल्पना में कहानी का मिश्रण
बहुत आनन्द आया पढ़कर।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा है।
कहानि में लाजवाब अभिव्यक्ति दिखी। अगले अंक का इन्तजार..........
आपकी एक अलग पहचान मुझे बहुत ही अच्छी लगी......खुबसूरत कहानी मै डाँ.साहब की बातो से सहमत हूँ!
एक टिप्पणी भेजें