शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?
चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो ?
ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?
शून्यता मे आरुढ
हर आरम्भ और अंत
भेदभाव विरहित
आत्मानंद
सृष्टि का विलोपन
अब कैसे नव सृजन हो?
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?
चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो ?
ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?
शून्यता मे आरुढ
हर आरम्भ और अंत
भेदभाव विरहित
आत्मानंद
सृष्टि का विलोपन
अब कैसे नव सृजन हो?
27 टिप्पणियां:
ये शब्द और अर्थ/उनके भाव/ सब तुम्हारे हैं/सुन्दर सृजन तुम्हारा/कैसे हो सकते हैं अर्थहीन..!
सबसे पहले 100वीं पोस्ट की आपको बधाई प्रेषित करता हूँ!
--
शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?
--
सभी का यह ही हाल है!
आपने बहुत सटीक और सशक्त अभिव्यक्ति प्रस्तुत की है!
उम्मीद पर कायम है जीवन...नवसॄजन फिर भी होगा!...एक सुंदर कविता से साक्षात्कार हुआ है!
शतक तो बन ही गया न। बधाई।
ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?
utkrisht prashnon ka srijan
आद. वंदना जी,
१०० वीं पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें !
जीवन,काव्य, क्रिकेट में १०० का बड़ा महत्व !
काव्य अगर छू ले इसे प्राप्त करे अमरत्व !
आपकी काव्य-यात्रा रोज नई ऊँचाइयों को छूती रहें इन्हीं शुभकामनाओं के साथ !
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
नवसृजन फिर भी होगा। बधाई।
सौवी पोस्ट की बधाई |
नई राहे नया चिंतन नए शब्द कुछ और नया सृजन करेंगे |
वधाई वंदनाजी इस १००वी रचना की !
१०० वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बधाई आपको
' शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो'
अति सुन्दर भावाभिव्यक्ति.
चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो ?
सृजन तो हो ही रहा है चाहे िस सृजन की चिंता के बहाने । खूबसूरत प्रस्तुति ।
100 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ.
हमेशा की भाँती एक उत्कृष्ट रचना । १०० वीं रचना के लिए बधाई।
शब्द निराकार हो गए
अर्थ बेकार हो गए
अब कैसे नव सृजन हो ?...
बहुत ही कोमल भावनाओं की रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।
sachi ka satak nahi laga koie baat nahi aap ne satak pura kiya badhai ho......
jai baba banaras....
१०० वीं पोस्ट के लिए बधाई स्वीकार करें ....वंदना जी,
१०० वीं पोस्ट के लिए बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुत बहुतबहुत बहुतबहुत बहुत बधाई
ऐसी स्थिति सर्जक में अस्थायी रूप से आ जाती है |
Anupam Abhivyakti!!
ह्रदय तरु पर
कुंठाओ का पाला
पड गया
संवेदनायें अवगुंठित
हो गयीं
दृश्य अदृश्य हो गया
अब कैसे नव सृजन हो?
...sanshay kee sthti mein bhi srajan ka hona lajmi hai, itnee bhavpurn rachna iska anutha udaharan ban baitha hai..
bhavpurn rachna ke liye haardik badhai
आदरणीय वंदना जी,
नमस्कार
100 वी पोस्ट की बधाई
चिंतन बिखर गया
आस की ओस
हवा मे ही
खो गयी
निर्विकारता
निर्लेपता का
आधिपत्य हो गया
अच्छी पोस्ट
अब कैसे नव सृजन हो ?
दिन मैं सूरज गायब हो सकता है
रोशनी नही
दिल टू सटकता है
दोस्ती नही
आप टिप्पणी करना भूल सकते हो
हम नही
हम से टॉस कोई भी जीत सकता है
पर मैच नही
चक दे इंडिया हम ही जीत गए
भारत के विश्व चैम्पियन बनने पर आप सबको ढेरों बधाइयाँ और आपको एवं आपके परिवार को हिंदी नया साल(नवसंवत्सर२०६८ )की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ!
आपका स्वागत है
"गौ ह्त्या के चंद कारण और हमारे जीवन में भूमिका!"
और
121 करोड़ हिंदुस्तानियों का सपना पूरा हो गया
सौवीं पोस्ट और फिर भी की नवसृजन कैसे हो ? ... मन की शिथिलता को बखूबी शब्दों में ढाला है
congrats for 100th post
100वीं पोस्ट की हार्दिक शुभकामनाएँ
लोग कैसे कह रहें हैं? ये एक अच्छी रचना है. सिर्फ शब्दों का हेर फेर कविता नहीं होते........... पर यहाँ तो, शब्दों को बुना गया है, विचार और शब्दों की सृष्टि ने एक कविता को जन्म दिया है. ये सुन्दर नहीं, वास्तविक कविता है....... इसे कविता कहना चाहिए......... सिर्फ शब्दों का हेर फेर कविता नहीं होते.
क्या लिख दिया तुमने .......? जीवन के मोह मैं कई जीवनों की बलि. आखिर ऐसा क्यों होता है? ....... आज ही एक कविता लिखी है..... राजेश को सपरिवार मेरी श्रृद्धांजली...... और काकी से ये सवाल ..........
एक सवाल जिन्दगी से
तू इसके होने से पहले क्या थी?
जब ये न था, तू कहाँ थी.
तू इसके, साथ है
या इसके बाद है?
पता नहीं,
अभी तो ये दिखता है
पहले दिखता था या नहीं
कब ये यहाँ आएगा
कब भोग कर जाएगा,
फिर भी मेरा सवाल
वहीं का वही रह जाएगा
तू इसके होने से पहले क्या थी?
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