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शनिवार, 27 सितंबर 2014
चन्द्रघंटा की टंकार
तृतीय दिवस तृतीय रूप माँ शिवदूती कहलाए जो भी नतमस्तक हो सर्व सिद्धि पा जाए काम क्रोध लोभ मोह अहंकार शत्रु जब सताये चन्द्रघंटा की टंकार से हर अमंगल मिट जाए दिव्य स्वरूप दिव्य ज्योति जगमग चमकी जाए सच्चे दिल से करो अराधना दिव्य दर्शन हो जाए
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