कोई उन्माद नहीं
कोई जेहाद नहीं
मन मौन के प्रस्तरों को
छिद्रित करने को आतुर नहीं
फिर विचार श्रृंखला
ध्वस्त हो या बिद्ध
मौसम ऊष्ण हो या शीत
जीवन की क्षणभंगुरता में
मोह के कवच और लोभ के कुण्डल
कितने ही आकर्षित करें
कोई जेहाद नहीं
मन मौन के प्रस्तरों को
छिद्रित करने को आतुर नहीं
फिर विचार श्रृंखला
ध्वस्त हो या बिद्ध
मौसम ऊष्ण हो या शीत
जीवन की क्षणभंगुरता में
मोह के कवच और लोभ के कुण्डल
कितने ही आकर्षित करें
एक शून्यता और मैं निर्बाध विचरण कर रहे हैं
फिर किस्म किस्म के कुसुम अब कौन चुने और क्यों ?
फिर किस्म किस्म के कुसुम अब कौन चुने और क्यों ?
6 टिप्पणियां:
मोह और लोभ न हो मगर कुसुम मन के खिलें तो जीवन सुगन्धित होगा। जीवन को खूबसूरती से जीना भी है !
बहुत बढ़िया।
जेहाद के नाम पर तो लव जेहाद ही बहुत है।
मोह रहित जीवन ही श्रेष्ठ है।
बहुत बढ़िया।
बहुत बढ़िया।
क्या बात वाह!
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