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शुक्रवार, 26 सितंबर 2014

पूजा वही होती सार्थक



द्वितीय दिवस द्वितीय रूप का आओ करें आह्वान 
माँ की दिव्य ज्योति से पायें परम विश्राम

पूजा वही होती सार्थक जो देती ये संदेश 
जब जीवन में तुम उतारो माँ का ये उपदेश 

श्रम परिश्रम बिना न होते सफ़ल अभियान 
ब्रह्मचारिणी के इस रूप की यही महिमा महान


4 टिप्‍पणियां:

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बहुत सुन्दर !
नवरात्रि की हार्दीक शुभकामनाएं !
शुम्भ निशुम्भ बध -भाग ३

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल शनिवार (27-09-2014) को "अहसास--शब्दों की लडी में" (चर्चा मंच 1749) पर भी होगी।
--
चर्चा मंच के सभी पाठकों को
शारदेय नवरात्रों की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

Asha Joglekar ने कहा…

माँ का सुंदर संदेश।

Unknown ने कहा…

behad sunder prastutikaran....navraatro ki haardik shubhkaaamna aapko....!!